बदायूं। भाजपा ने राज्यसभा चुनाव के लिए उत्तरप्रदेश से आठ प्रत्याशियों के नाम का एलान किया है। जिसमें बदायूं निवासी सिड़को अध्यक्ष (दर्जा राज्यमंत्री) बीएल वर्मा का नाम शामिल किया है। जनपद से पहली बार कोई राजनेता राज्यसभा के लिए उम्मीदवार घोषित हुआ है फिलहाल विधानसभा सदस्यों की संख्या के हिसाब से इन रिक्त दस सीटों में से नौ का परिणाम तो लगभग तय है। लेकिन दसवीं सीट बीजेपी और विपक्षी दलों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल होगी।
भाजपा में यूपी कंस्ट्रक्शन इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट कारपोरेशन के अध्यक्ष व भाजपा के बृज क्षेत्र के अध्यक्ष रह चुके बी.एल. वर्मा को राज्यसभा चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है। मूलरूप उझानी ब्लाक के ज्योरा पारवाला गांव में जन्मे एवं वर्तमान में उझानी कस्बा निवासी वर्मा वर्ष 2018 में प्रदेश उपाध्यक्ष का दायित्व भी संभाल चुके हैं। ओजस्वी वक्ता बीएल वर्मा लोधी समाज के बड़े नेता माने जाते हैं। बीएल वर्मा मंगलवार 27 अक्टूबर को लखनऊ में राज्यसभा के लिए नामाकंन दाखिल करेंगे। इसके अलावा भाजपा ने उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग अध्यक्ष रह चुके पूर्व पुलिस महानिदेशक बृजलाल, मुगरा बादशाहपुर (जौनपुर) की पूर्व विधायक सीमा द्विवेदी, भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री हरिद्वार दुबे और औरैया की पार्टी नेता गीता शाक्य को उम्मीदवार बनाया गया है।
उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश से राज्यसभा चुनाव की घोषणा 13 अक्टूबर को की थी। चुनाव की अधिसूचना 20 अक्टूबर को जारी की गई है। नामांकन 27 अक्टूबर यानी कल तक भरे जाएंगे। 28 अक्टूबर को नामांकन पत्रों की जांच की होगी। नाम वापसी की तारीख दो नवंबर है। नौ नवंबर को सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक वोटिंग होगी और इसी दिन शाम को पांच बजे से मतगणना होगी और नतीजे जारी होंगे।
बता दें उत्तर प्रदेश से आगामी 25 नवंबर को 10 राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल खत्म होने जा रहा है। उत्तर प्रदेश कोटे से राज्यसभा में 25 नवंबर को रिक्त होने वाली दस सीटों में इस समय भाजपा के पास तीन, सपा के पास चार, बसपा के पास दो और कांग्रेस के पास एक सीट है। इन नेताओं में भाजपा के अरुण सिंह, नीरज शेखर, हरदीप सिंह पुरी, समाजवादी पार्टी के जावेद अली खान, राम गोपाल यादव, चंद्रपाल सिंह यादव, रवि प्रकाश वर्मा, बसपा के राजाराम, वीर सिंह, कांग्रेस के पीएल पुनिया जैसे दिग्गज शामिल हैं। बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार रामजी गौतम ने सोमवार को अपना पर्चा दाखिल किया। वहीं समाजवादी पार्टी ने प्रो. राम गोपाल यादव को अपना प्रत्याशी घोषित किया था। वह अपना नामांकन भी दाखिल कर चुके हैं।
राज्यसभा के चुनाव में उत्तर प्रदेश में संख्या बल के आधार पर आठ सीटों पर भाजपा की एकतरफा जीत दिख रही है, जबकि एक सीट आराम से सपा को मिल जाएगी। कांग्रेस और सुहेलेदेव भारतीय समाज पार्टी जैसे दल साथ मिलकर चुनाव जीतने की स्थिति में नहीं हैं। राज्यसभा की दस सीटों में से नौ का परिणाम तो लगभग तय है। दसवीं सीट बीजेपी और विपक्षी दलों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल होगी। इस सीट के लिए बीएसपी के साथ बीजेपी भी अपना प्रत्याशी मैदान में उतारने की तैयारी में है। दोनों के पास जीत के लिए पर्याप्त वोट नहीं हैं, ऐसे में बेहतर चुनावी प्रबंधन तय करेगा कि यह सीट किसके हक में जाएगी।
मौजूदा समय में विधानसभा में सदस्यों की संख्या 396 है। इनमें बीजेपी के 304, एसपी के 48, बीएसपी के 18, अपना दल (सोनेलाल) के नौ, कांग्रेस के सात, सुभाएसपी के चार, निर्दलीय तीन, रालोद और निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल का एक-एक सदस्य है। इसके साथ ही एक नाम निर्वाचित सदस्य है।
राज्यसभा चुनाव में एक विधायक एक वोट होता है । वहीं नाम निर्वाचित सदस्य को राज्यसभा चुनाव में वोट का अधिकार नहीं होता। इस हिसाब से 395 सदस्यों के राज्यसभा चुनाव में वोट करने की संभावना है। राज्यसभा चुनावी गणित के हिसाब से 395 सदस्यों के आधार पर एक सीट के लिए 37 विधायकों की जरूरत होगी। इस हिसाब से 296 विधायकों के बल पर बीजेपी के आठ प्रत्याशियों की जीत तय है। इसी तरह दूसरे नंबर पर एसपी के पास 48 विधायक हैं और इस हिसाब से प्रफेसर रामगोपाल यादव के रूप में एसपी के खाते में एक सीट आनी तय है। अब आठ सीटें जिताने के बाद बीजेपी के पास अपने नौ विधायक बच रहे हैं। जबकि नौ विधायक बीजेपी के सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) के पास हैं। इसके अलावा एसपी के नितिन अग्रवाल, कांग्रेस के राकेश सिंह और बीएसपी के अनिल सिंह परोक्ष रूप से बीजेपी के साथ माने जा रहे हैं। इस सब के बाद भी दसवीं सीट जीतने के लिए बीजेपी को 16 विधायकों के वोटों की और जरूरत होगी।
अगर नितिन अग्रवाल को निकाल दें तो समाजवादी पार्टी के पास अपना एक उम्मीदवार जिताने के बाद 10 वोट बचेंगे। इसी तरह अनिल सिंह को कम कर दें तो बीएसपी के पास अपने 17 सदस्य हैं। राकेश सिंह को निकालने के बाद कांग्रेस के 6, सुभाएसपी के चार और आरएलडी का एक मिला कर कुल 38 विधायक होते हैं। जिससे 10वीं सीट बसपा के खाते में जाती हुई नजर आ रही है हालांकि इन छोटे दलों के साथ निर्दलीय विधायकों पर बीजेपी की भी नजर है।