बदाय। एसएसपी कार्यालय परिसर में बुधवार को एक युवक द्वारा आत्महत्या के प्रयास के मामले में सदर कोतवाल को निलंबित कर दिया गया है। इससे पहले तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया था।
शहर के नई सराय मोहल्ले में निवासी ई-रिक्शा चालक गुलफाम पुत्र फिरोज ने बुधवार दोपहर ऑफिस परिसर में कैरोसिन डालकर खुद को आग लगा ली थी। वह ज्वलनशील लेकर परिसर में पहुंचा गया लेकिन किसी पुलिसकर्मी की उस पर नजर नहीं पड़ी, उसकी तलाशी भी नहीं ली गयी। गंभीर रूप से झुलसे गुलफाम को बरेली के एक निजी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है, जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई है।
पुलिसकर्मियों की नहीं लगाई थी ड्यूटी, कोतवाल भी हटाए गए
एसएसपी कार्यालय पर पुलिस लाइन से प्रत्येक दिन अतिरिक्त पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगती है लेकिन बुधवार को कार्यालय पर ड्यूटी नहीं लगाई गई। पुलिसकर्मियों की ड्यूटी न लगाने के चलते एसएसपी ने गणना मुंशी सोनू कुमार, दक्ष चौधरी और अर्जुन सिंह को निलंबित कर दिया गया है। वहीं इस मामले में जांच में सामने आया कि 25 दिसंबर को भी गुलफाम का उसके ससुरालियों से विवाद हुआ था। उसने आरोप लगाया था कि ससुरालियों ने उसे चाकू मारा है। उसने जब मामले की शिकायत सदर कोतवाली आकर की लेकिन कोतवाल ने इस प्रकरण को हल्के में लिया। इसके बाद 30 दिसंबर को पुन: उसे बंधक बनाने की घटना हुई थी। ससुराल पक्ष का कहना था कि वो जबरन उनके घर में घुस आया। उस वक्त भी कोतवाल ने कार्रवाई नहीं की। सदर कोतवाल राकेश सिंह पर आरोप है कि उन्होंने न केवल गुलफाम की शिकायतों को अनसुना किया इसीलिए उन्हें निलम्बित कर दिया गया है।
ई-रिक्शा चालक का पत्नी से हुआ था विवाद
गुलफाम अली का पत्नी सनोवर से घरेलू विवाद हुआ था। वह दो वर्ष पहले मायके गईं लेकिन लौटी नहीं। गुलफाम का आरोप है कि वह लेने पहुंचे तो ससुराल वालों ने पिटाई की। उसी समय प्राथमिकी पंजीकृत कराई थी। इसके बाद कुछ दिन बाद पत्नी ने दहेज उत्पीड़न की प्राथमिकी करा दी। गुलफाम के अनुसार वह मुजरिया, सिविल लाइंस, शहर कोतवाली में छह प्राथमिकी पंजीकृत करा चुके हैं। इनमें पांच में चार्जशीट लग चुकी है। वहीं गुलफाम के खिलाफ चार दिन पहले भी एक केस दर्ज हुआ। सुसराल पक्ष का आरोप है कि गुलफाम ने बोतल में पेट्रोल लेकर ससुराल पहुंचकर धमकाया था। आरोप है कि एक रिश्तेदार महिला से छेड़छाड़ भी की। उस समय ससुराल वालों ने बंधक बना लिया। तब पुलिस ने गुलफाम को छुड़ाया था। उसी प्रकरण में छेड़छाड़, मारपीट की प्राथमिकी दर्ज की गयी।
विधायक पर भी लगाया आरोप
गुलफाम के खिलाफ लगातार केस दर्ज होने और पुलिस के उसके प्रति रवैये की वजह से वो बुधवार दोपहर एसएसपी कार्यालय पहुंचा और अचानक अपने ऊपर ज्वलनशील उड़ेलकर आग लगा ली। उसकी चीख पुकार सुनकर कार्यालय में काम कर रहे पुलिसकर्मी बचाने दौड़े। आग बुझाकर उन्हें तुरंत जिला अस्पताल भेजा गया। कुछ देर बाद हालत गंभीर पर बरेली के श्रीराममूर्ति मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया।
आग की लपटों के बीच गुलफाम ने कहा कि 30 दिसंबर को उसके साथ घटना हुई। उसका ई-रिक्शा, मोबाइल, फोन और 2200 रुपये सभासद पति व उसके साथियों ने छीन लिए। निहाल, मुनाजिर, शाकिर, मोहल्ले का वार्ड मेंबर आदि लोगों ने घर में बंधक बनाया। इसकी शिकायत थाने में की लेकिन साहब ने मदद नहीं की। गुलफाम ने आगे कहा कि थाने वालों ने कार्रवाई के बजाय उसके ऊपर ही दबाव बनाया। नगर विधायक महेश चंद्र गुप्ता ने फोन करके कोतवाल के हाथ बांध दिए। सीओ संजीव कुमार ने दबाव बनाया कि दो किलो डोडा पाउडर में जेल भेज देंगे। पुलिस ने उसे बेबस और मजबूर कर दिया। इस कारण वह आत्महत्या के लिए मजबूर हुआ। हालाँकि भाजपा विधायक महेश चन्द्र गुप्ता ने इन आरोपों को गलत बताया।
सात माह पहले भी कर चुका है आत्मदाह का प्रयास
गुलफाम सात माह पहले भी आत्मदाह का प्रयास कर चुका है। वह सात माह पहले एसएसपी कार्यालय पहुंचा था और आग लगाकर आत्मदाह का प्रयास किया था। हालांकि मौके पर मौजूद पुलिस ने आग लगने से पहले ही उसे रोक लिया था। बावजूद इसके उसकी समस्या का समाधान नहीं हो सका। सात दिन पहले भी उसने आत्मदाह करने की धमकी दी थी। आरोप तमाम लगाए, लेकिन पुलिस सिर्फ पति पत्नी के बीच विवाद की बात कहकर मामले को हल्के में लेती रही।