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मुलायम सिंह यादव का निधन, मेदांता अस्पताल में ली आखिरी सांस

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का सोमवार को लंबी बीमारी के बाद गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। उन्होंने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में आखिरी सांस ली। पिछले रविवार से उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद सपा कार्यकर्ताओं में शोक की लहर दौड़ गई।

मुलायम सिंह को 22 अगस्त को मेदांता अस्पताल में भर्ती किया गया था, सांस लेने में ज्यादा दिक्कत होने पर उन्हें आईसीयू में शिफ्ट किया गया था। अस्पताल में मुलायम सिंह (82) की निगरानी खुद मेदांता समूह के निदेशक डॉ. नरेश त्रेहन कर रहे थे। हालांकि हालत बिगड़ने के बाद उनका जीवन नहीं बचाया जा सका और मुलायम ने सुबह 8.16 पर आखिरी सांस ली। जब से मुलायम सिंह यादव अस्‍पताल में भर्ती हुए थे तब से लगातार उनके समर्थक और प्रशंसक उनकी बेहतर सेहत के लिए पूजा-प्रार्थना कर रहे थे।

इटावा में जन्म मुलायम सिंह यादव
22 नवंबर 1939 को इटावा जिले के सैफई में जन्मे मुलायम ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सैफई से ग्रहण की। बाद उन्होंने आगरा से एमए करने के बाद कुछ समय के लिए टीचर बन गए।बच्चों को पढ़ाने के दौरान वह सामाजिक कार्यों में भी रुचि लेने लगे। समाजवादी आंदोलन में वह अब खुलकर भाग लेने लगे थे। बाद में उन्होंने शिक्षक की नौकरी छोड़कर राजनीति में सक्रिय हो गए।

इस तरह पहली बार बने विधायक
साल 1967 की बात है जब यूपी में विधानसभा चुनाव हो रहे थे। जसवंत नगर से मौजूदा विधायक नत्थू सिंह को एक बार फिर टिकट मिला लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया। उनका कहना था कि उनकी उम्र ज्यादा हो गई है इसलिए कोई युवा यहां से विधायक बने। बताया जाता है कि नत्थू सिंह ने ही मुलायम सिंह को संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से टिकट दिलवाया और चुनाव प्रचार भी किया। इसकी मुख्य यह ये रही कि मुलायम सिंह राम मनोहर लोहिया आंदोलन से जुड़े थे। नत्थू के आर्शीवाद से मुलायम पहली बार विधायक बने। इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा, वह इस सीट से आठ बार विधायक चुने गए।

4 अक्टूबर 1992 को बनाई समाजवादी पार्टी
मुलायम सिंह यादव ने जनता दल से अलग होकर 4 अक्टूबर 1992 को समाजवादी पार्टी का गठन किया। चार नवंबर 1992 को पहली बार पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ। इसके एक साथ बाद 1993 को यूपी 422 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव हुए। सपा और बसपा ने मिलकर यह चुनाव लड़ा।बसपा के 164 प्रत्याशी जीते तो सपा के 67 उम्मीदवार जीते यानी सपा अपने पहले ही चुनाव में 67 सीटें जीतने में कामयाब रही। इस चुनाव में सपा ने 256 उम्मीदवार उतारे थे।

मुलायम सिंह यादव करीब 6 दशक तक सक्रिय राजनीति में हिस्सा लिया। वो कई बार यूपी विधानसभा और विधान परिषद के सदस्य रहे। इसके अलावा उन्होंने संसद के सदस्य के रूप में ग्यारहवीं, बारहवीं, तेरहवीं और पंद्रहवीं लोकसभा में हिस्सा भी लिया। मुलायम सिंह यादव 1967, 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993 और 1996 में कुल 8 बार विधानसभा के सदस्य बने। इसके अलावा वह 1982 से 1985 तक यूपी विधानसभा के सदस्य भी रहे।

यूपी के सीएम और रक्षामंत्री भी रहे
मुलायम सिंह यादव ने तीन बार यूपी के सीएम के रूप में काम किया। वो पहली बार 5 दिसम्बर 1989 से 24 जनवरी 1991, दूसरी बार 5 दिसम्बर 1993 से 3 जून 1996 तक और तीसरी बार 29 अगस्त 2003 से 11 मई 2007 तक उत्तर प्रदेश के सीएम रहे। इन कार्यकालों के अलावा उन्होंने 1996 में एचडी देवगौड़ा की संयुक्त गठबंधन वाली सरकार में रक्षामंत्री के रूप में भी काम किया। अपने सर्वस्पर्शी रिश्तों के कारण मुलायम सिंह को नेताजी की उपाधि भी दी जाती थी। मुलायम को उन नेताओं में जाना जाता था, जो यूपी और देश की राजनीति की नब्ज समझते थे और सभी दलों के लिए सम्मानित भी थे।

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