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उझानी पुलिस की 5 दिन की मनमानी कस्टडी के बाद घर लौटा सत्यवीर, मुख्यमंत्री से लगाई सुरक्षा की गुहार

उझानी। चार माह से लापता महिला की तलाश में जुटी पुलिस ने आखिरकार उसके पति को छोड़ दिया है। पिछले 5 दिनों से पुलिस ने नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए महिला के पति को बंधक बनाकर रखा था, उसे एक के बाद एक थानों में घुमाया गया। पुलिस की प्रताड़ना से तंग युवक ने अब मुख्यमंत्री से सुरक्षा की गुहार लगाई है। युवक के वकील ने बताया पुलिस की इस मनमानी को अदालत के संज्ञान में भी लाया जाएगा।

कोतवाली क्षेत्र के गाँव गंगोरा निवासी सत्यवीर पुत्र राजवीर की पत्नी पूजा पिछले 4 महीने से लापता है। सत्यवीर के मुताबिक शादी के बाद से ही उसके फुफेरे भाई लक्ष्मण का घर आना जाना था, पूजा का उसी के साथ प्रेम सम्बन्ध था। पिछले वर्ष दिसम्बर में पूजा अपनी 3 महीने की बेटी को छोडकर लक्ष्मण के साथ फरार हो गयी। वहीं क्षेत्र के गाँव अढौली निवासी पूजा के पिता गंगा प्रसाद का आरोप है कि दहेज की मांग पूरी न होने पर पूजा की हत्या कर दी गयी है। इस ममाले में दोनों ही पक्ष के दूसरे के खिलाफ अदालत में गए हैं।

सत्यवीर दिल्ली के संगम विहार में किराए पर रहकर काम करता था। मगंलवार देर रात 3 बजे उझानी कोतवाली के दरोगा अनिल कुमार और एक सिपाही प्राईवेट गाडी से उसके कमरे पर पहुँच गए। उनके साथ गंगाप्रसाद और एक अन्य ग्रामीण भी था। यहाँ से जबरन और बलपूर्वक सत्यवीर को उझानी कोतवाली लाया गया हालाँकि पुलिस ने दिल्ली जाने की बात से ही इनकार कर दिया। लेकिन गंगाप्रसाद ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि प्राईवेट गाडी बुक करके सत्यवीर को लेने गए थे और अनिल दरोगा समेत दो पुलिसकर्मी उनके साथ थे। गंगा प्रसाद के अलावा सत्यवीर की मकान मालकिन सरोज देवी ने आधी रात में सत्यवीर की जबरन हिरासत में ले जाने की बात कही। सरोज देवी ने बताया कि पुलिस से वारंट भी माँगा लेकिन उन्होंने एक न सुनी और सत्यवीर को जबरन उठाकर ले गए।

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नियमानुसार एक राज्य से दूसरे राज्य हिरासत में लेते वक्त वहां की पुलिस को सूचना देनी होती है लेकिन उझानी पुलिस ने यहाँ अपनी मनमानी की। हालाँकि पुलिस की मनमानी का यह सिलसिला यहीं नहीं रुका। मकान मालिकन सरोज देवी की सूचना पर जब सत्यवीर की माँ राजवती उझानी कोतवाली पहुंची तो उन्हें वहां फटकार दिया गया जबकि सीआरपीसी की धारा 50 (ए) के तहत हिरासत में लिए शख्स के परिजनों को सूचना देनी होती है। साथ ही सीआरपीसी की धारा 57 के तहत पुलिस किसी भी व्यक्ति को 24 घंटे से ज्यादा हिरासत में नहीं ले सकती है। यदि कोई पुलिस किसी को 24 घंटे से ज्यादा अपने हिरासत में रखना चाहती है तो इसके लिए भी उसको सीआरपीसी की धारा 56 के तहत मजिस्ट्रेट से इजाजत लेनी होती है लेकिन उझानी पुलिस ने इस प्रक्रिया का भी पालन नहीं किया।

बुधवार सुबह को सत्यवीर को अब्दुलागंज चौकी ले जाया गया, जहाँ उससे लापता पत्नी के सम्बन्ध में पूछताछ की गयी। सत्यवीर ने बताया कि पुलिस ने उसे एनकाउन्टर करने की धमकी दी। इसके बाद सत्यवीर को अगले दिन बदायूं और वहां से कादरचौक थाने ले जाया गया। यहाँ दो दिन उससे पूछताछ हुई, इसी बीच गाँव के ही एक शख्स ने थाने में सत्यवीर को देख लिया। उसने सत्यवीर से इसकी वजह पूछी तो उसने पूरा घटनाक्रम उस ग्रामीण को सुनाया। वापस लौटकर ग्रामीण ने कोतवाली से लेकर एसएसपी दफ्तर तक भटक रही सत्यवीर की माँ राजवती को बेटे की जानकारी दी तो वह भागी भागी कादरचौक थाने पहुँच गयी। राजवती को वहां देखकर पुलिसकर्मी भौचक्के रह गए और से डांट फटकार भगा दिया गया।

पुलिस को आशंका थी कि सत्यवीर की माँ को खबर मिलने से मामला बिगड़ सकता है तो यहाँ से अब उसे उसहैत थाने भेज दिया गया और जब पुलिस की पूछताछ में कुछ हाथ नहीं लगा तो रविवार को वापस उझानी लाया गया। राजवती ने बताया कि शाम को सत्यवीर को जब थाने लेने पहुंची तो यहाँ उसके साथ भी मारपीट की गयी। देर शाम दोनों को छोड़ दिया गया। पुलिस की प्रताड़ना के खिलाफ सत्यवीर ने अब मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत की है। सत्यवीर का कहना है कि उसकी जान को खतरा है, पुलिस पूछताछ करने की बजाए उसे तंग कर रही है। उधर सत्यवीर के वकील ने भी इस मामले को कोर्ट में लेने जाने की बात कही है। उन्होंने बताया कि पुलिस ने सीआरपी की धाराओं के साथ ही संविधान के अनुच्छेद 20, 21 और 22 में दिए गए मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन किया है।

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