संभल। उत्तर प्रदेश में संभल की शाही जामा मस्जिद विवादों में है। हिंदू पक्ष का दावा है कि वहां एक हरिहर मंदिर था, जिसे तोड़कर मस्जिद बनाया गया। इसके बाद प्रशासन अलर्ट पर है। लेकिन इसकी सच्चाई क्या है? क्या ये मस्जिद सच में मजहबी स्थल है या फिर किसी हिंदू मंदिर को तोड़ कर बनाई गई है।
कोतवाली क्षेत्र के कोट पूर्वी में स्थित शाही जामा मस्जिद को लेकर कैलादेवी मंदिर के महंत ऋषि राज गिरि महाराज ने 19 नवंबर को दोपहर डेढ़ बजे सिविल कोर्ट में याचिका लगाई। महंत ऋषि राज गिरि ने दावा किया कि शाही जामा मस्जिद श्रीहरिहर मंदिर है। मस्जिद में मंदिर के कई प्रमाण हैं। यहीं पर भगवान विष्णु के दशावतार कल्कि का अवतार होना है। शाही जामा मस्जिद सदर कोतवाली क्षेत्र के कोट पूर्वी में स्थित है। इसके बाद सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य सिंह की अदालत ने ढाई घंटे में सर्वे का ऑर्डर कर दिया। अदालत ने एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया। उसी दिन शाम 4 बजे आदेश आने के महज 2 घंटे के भीतर शाम सवा छह बजे सर्वे के लिए टीम जामा मस्जिद पहुंच गई। डीएम राजेंद्र पैंसिया और एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई भी साथ रहे। 2 घंटे के सर्वे के बाद टीम रात करीब पौने 8 बजे बाहर आई थी। वहीं इस आदेश के खिलाफ जामा मस्जिद पक्ष ने कोर्ट में अपील दाखिल की है। मामले पर अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी।
बाबरनामा
मुगल आक्रांता बाबर ने बाबरनामा किताब लिखी थी। बाबर ने इसे तुर्की भाषा में लिखा था। बाद में इस किताब का अंग्रेजी-हिंदी में भी अनुवाद हुआ, ऐतिहासिक रूप से इस किताब को बड़ा महत्वपूर्ण माना जाता है। इस किताब में बाबर ने खुद बताया है कि वो जुलाई 1529 में संभल आया था। उसके आदेश पर दरबारी मीर हिरदु बेग ने भगवान विष्णु के हिन्दू मन्दिर का मस्जिद में परिवर्तन किया।
आइन-ए-अकबरी
अकबर के शासनकाल में फारसी भाषा में अबुल फजल ने ‘आइन-ए-अकबरी’ किताब लिखी। 1589 से 1600 के बीच लिखी गयी इस किताब में सम्भल में जामा मस्जिद की जगह हिन्दू मंदिर होने का जिक्र मिलता है।
इस पुस्तक में लिखा है, ‘सम्बेल (संभल) में प्रचुर मात्रा में शिकार उपलब्ध हैं। जहां गैंडा पाया जाता है। यह एक छोटा हाथी जैसा जानवर है, जिसके पास सूंड नहीं होती। इसके थूथन पर एक सींग होती है, जिससे यह दूसरे जानवरों पर हमला करता है। इसकी खाल से ढालें बनाई जाती हैं और सींग से धनुष की डोरी। संभल शहर में हरि मंडल (विष्णु का मंदिर) नामक एक मंदिर है, जो एक ब्राह्मण का है। जिसके वंशजों में से दसवां अवतार इसी स्थान पर प्रकट होगा। ये एक प्राचीन स्थान है, जो शेख फरीद-ए-शकर गंज के उत्तराधिकारी जमाल का विश्राम स्थल है।’
ASI की पुरानी रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासा
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने 1874–76 के बीच संभल शहर से संबंधित प्राचीन पुरावशेषों के बारे में तत्कालीन महानिदेशक मेजर जनरल अलेक्जेंडर कनिंघम की देखरेख में रिपोर्ट बनाई। इस रिपोर्ट को पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया। पुस्तक का शीर्षक था- ‘मध्य दोआब और गोरखपुर में भ्रमण, 1874-75 और 1875-76’।
1874 से 1876 के बीच किए गए सर्वेक्षणों के संबंध में पेज नंबर-24 से 27 तक संभल का उल्लेख किया गया है।इस पुस्तक में लिखा है कि पुराना शहर संभल, रोहिलखंड के बिल्कुल बीचो-बीच महिष्मत नदी पर बसा है। सतयुग में इसका नाम सब्रित या सब्रत और संभलेश्वर बताया जाता है। त्रेतायुग में इसे महादगिरि और द्वापर युग में पिंगला कहा जाता है। बाद में इसका वर्तमान नाम संभल या संस्कृत में संभल-ग्राम पड़ा। शहर के दक्षिण पूर्व में सुरथल खेड़ा जगह है, जिसका नाम चंद्र वंश के राजा सत्यवान के पुत्र राजा सुरथल के नाम पर रखा गया था। सुरथल खेड़ा उत्तर पूर्व से दक्षिण पश्चिम तक 1200 फीट लंबा और 1000 फीट चौड़ा है। इसके अलावा दक्षिण पश्चिम की तरफ एक बड़ा खेड़ा है। दोनों स्थानों के बीच कई और छोटे टीले हैं।
इस रिपोर्ट के पेज 25 और 26 में ASI ने अपने सर्वेक्षण में पाया था कि मस्जिद के अंदर और बाहर के खंभे पुराने हिंदू मंदिर के हैं, जिसे प्लास्टर लगा कर छुपा दिया गया है। सर्वेक्षण के दौरान ASI के अधिकारी ने पाया कि मस्जिद के एक खंभे से प्लास्टर उखड़ा हुआ है और ईंटों के पीछे सर्वे करने पर पता लगा कि इसके पीछे लाल रंग का खंभा है जो न सिर्फ मस्जिद के कालखंड के प्राचीन है बल्कि ऐसे खंभे हिंदू मंदिरों के होते हैं। ASI ने अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट में बताया था कि मस्जिद के गुंबद का जीर्णोद्धार हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने करवाया था, साथ ही मस्जिद के हिन्दू खंभे, मुस्लिम खंभों से बिल्कुल अलग हैं।
पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल में बना था मंदिर
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और इतिहासकार डॉ. विघ्नेश त्यागी ने बताया कि मैंने इतिहास पर ‘युग युगीन’ पुस्तक लिखी है। इसमें संभल के श्री हरिहर मंदिर का हवाला दिया है। पुस्तक में मैंने लिखा है- पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल में 1178 से 1193 तक श्री हरिहर मंदिर रहा। इसी दौरान ही पृथ्वीराज ने संभल को दूसरी राजधानी का दर्जा दिया था। उसी समय संभल में ये मंदिर बना।
यह अल्लाह का घर है: जियाउर्रहमान बर्क
वहीं इस मामले को लेकर संभल से सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क का कहना है कि यह अल्लाह का घर है, मस्जिद है। इसमें सरकार को संज्ञान लेना चाहिए। ये देश संविधान से चलेगा, कानून से चलेगा, किसी की मनमर्जी से देश नहीं चलने वाला। हम उम्मीद करते हैं कि जो उन्होंने सर्वे किया है, उनको सुई बराबर एक इंच भी जगह ऐसी नहीं मिल सकती, जिस पर आपत्ति हो सके। यह मस्जिद थी, मस्जिद है और मस्जिद रहेगी।