कछला। सोमवती अमावस्या पर कछला गंगाघाट पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान के साथ ही पूजा अर्चना की। साथ ही दान देकर पुण्य भी अर्जित किया। तपती गर्मी से बचने के लिए लोगों का देर रात से ही नदियों में आस्था की डुबकी लगाने का दौर शुरू हो गया था।
सोमवती अमावस्या पर सोमवार तड़के ही गंगा स्नान शुरू हो गया। श्रद्धालुओं ने दुग्ध से गंगा का अभिषेक किया। गंगा मैया के जयघोषों के बीच श्रद्धालुओं ने पुण्य की डुबकी लगाई। स्नान के बाद दान पुण्य के साथ ही वटअमावस होने के कारण वट वृक्ष की पूजा अर्चना कर परिक्रमा की गई। गंगा घाट पर जगह-जगह श्रद्धालुओं द्वारा यज्ञ व देवताओं की पूजा की जा रही थी। जिले में आने श्रद्धालुओं को देखते हुए प्रशासन ने पुख्ता किये थे लेकिन भीड़ के आगे व्यवस्थाएं धराशायी हो गईं। बदायूं- कछला मार्ग पर भारी जाम लगा। इससे भीषण गर्मी में श्रद्धालुओं को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
बता दें सोमवती अमावस्या और शनि जयंती इस बार साथ में हैं और ऐसा दुर्लभ संयोग 149 साल बाद आया है। सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। खास बात यह है कि आज ही के दिन वट सावित्री का भी विशेष संयोग जुड़ रहा है। इससे पहले यह संयोग 30 मई 1870 को बना था।
ऐसी मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के अवसर पर किसी पवित्र नदी में स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन विवाहित स्त्रियां गंगा स्नान के बाद पीपल के वृक्ष की दूध, जल, पुष्प, अक्षत, चन्दन इत्यादि से पूजा करती हैं। इसके बाद वृक्ष के चारों ओर 108 बार धागा लपेट कर परिक्रमा करती हैं। धान, पान और खड़ी हल्दी को मिला कर उसे विधान पूर्वक तुलसी के पेड़ को चढ़ाया जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व समझा जाता है।