उझानी। मेरे राम सेवा समिति की ओर से बाबू राम धर्मशाला में चल रही सेवा और संस्कारों को समर्पित नौ दिवसीय श्रीराम कथा के छठवें दिन श्रीराम वनवास, केवट प्रसंग और गंगा महिमा का बखान किया।
कथावाचक समदर्शी रवि महाराज ने कहा कि भगवान श्रीराम ने मर्यादित जीवन से धरती पर धर्म और मर्यादा से रहना सिखाया। भगवान श्रीराम का जन्म अहंकार रूपी रावण का वध करने के लिए हुआ था। श्रीराम राजा बनने पर यह संभव नहीं था। कैकेयी ने राम को पुत्र की तरह प्रेम किया। श्रीराम के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए राजा दशरथ से भरत को राजा और श्रीराम को चौदह वर्ष का वनवास का वचन मांग लिया। वनवास के दौरान हनुमान से मिले, सबरी का उद्धार और पृथ्वी से पाप का भार कम किया। वृंदावन से पधारे देवाचार्य ने वेदमंत्रोच्चारण किया। विश्व ब्रह्माण्ड का प्रतीक शक्तिकलश और भगवान गणेश का पूजन कराया।
इस मौके पर पूर्व डिप्टी जेलर केएन मिश्रा, कमलेश मिश्रा, सत्यवीर, रवि सोलंकी, मुकेश राठी, सीमा राठौर, सत्येंद्र सिंह चौहान, प्रदीप चौहान, हिमांशु कृष्ण, संदीप अग्रवाल, देवेश गुलाटी, ब्रजेंद्र सिंह, देवेश गुलाटी, गजेंद्र पंथ, राहुल अग्रवाल, संदीप अग्रवाल, ओमवीर सिंह आदि मौजूद रहे।