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उझानी: किसी का सिर फूटा तो किसी का टूटा पैर, दो समुदाय में जमकर हुआ पथराव, चली लाठियां, 18 के खिलाफ मुकदमा दर्ज

घायल रिजवान पक्ष और प्रकाश

उझानी (बदायूं)। कोतवाली क्षेत्र के गाँव अल्लापुर भोगी में होली और शब-ए-बारात के मौके पर आखिर वही हुआ जिसका डर था। शुक्रवार की रात दो समुदाय के बीच खूनी संघर्ष में हुआ। जमकर लाठी, डंडे, ईंटों से हमला किया गया। इस दौरान करीबन एक दर्जन लोग जख्मी हो गए। अचानक रात में बिगड़े माहौल सूचना मिलते ही प्रशासिनक अधिकारियों समेत भारी पुलिस बल ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया। पुलिस ने इस मामले में 18 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है जबकि 7 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

गाँव की सीमा में दाखिल होते ही एक ओर समुदाय विशेष का कब्रिस्तान हैं तो वहीं सामने की ओर दूसरे समुदाय के लोगों के घर हैं। शुक्रवार को होली का जश्न मनाने के लिए ग्रामीणों ने यहाँ डीजे लगाया था, सुबह से लोगों ने जमकर होली खेली वहीं दोपहर की नमाज भी शांति से हुई। रात करीबन 8 बजे एक समुदाय के लोग डीजे की धुन पर थिरक रहे थे वहीं दूसरे समुदाय के लोग अपने पूर्वजों की कब्रों पर अगरबत्ती लगाने के लिए कब्रिस्तान आ रहे थे। अब्दुल्लागंज चौकी इंचार्ज वीकेश कुमार यादव भी पुलिस बल के साथ उनके साथ थे।

इस दौरान दोनों पक्षों में कहासुनी हो गयी। चौकी इंचार्ज ने उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन दोनों समुदाय ने एक-दूसरे पर ईंटों, पत्थरों व डंडों से हमला बोल दिया। इस हमले में महिला प्रधान पति रिजवान, नबाब बक्श, नसरुद्दीन, उस्मान, इसरार, इसराईल, नीर हसन, अमीर शाह, प्रकाश और परमानन्द घायल हो गए। इस लड़ाई में कई लोग गंभीर घायल हुए हैं, उनके सिर में गहरी चोट है जबकि 62 वर्षीय इसराइल को जिला अस्पताल भर्ती कराया गया है, उनका पैर टूटा है।

अचानक बवाल की खबर मिलते ही पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों के होश उड़ गए। आनन-फानन में एसपी सिटी प्रवीण सिंह चौहान, सीओ सिटी अलोक मिश्र, सीओ उझानी गजेंद्र श्रोत्रिय, इंस्पेक्टर उझानी हरपाल बालियान के अलावा इंस्पेक्टर कादरचौक, इंस्पेक्टर मुजरिया, सिविल लाइंस इंस्पेक्टर पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंच गए। पीएससी को वहां बुला लिया गया। पुलिस ने दोनों पक्षों को खदेड़ कर बिगड़ते हालात संभाले और 7 लोगों को हिरासत में ले लिया।

गाँव में पुलिस बल

पुलिस ने इस मामले में गाँव के पूर्व प्रधान बली मोहम्मद पुत्र अहमद वक्श समेत भूकन पुत्र रूपेश, सतेन्द्र पुत्र मेवाराम, दयाराम पुत्र राजपाल, दीनदयाल पुत्र मीलाल, रोशनलाल पुत्र नेमचन्द्रपाल,जगवीर पुत्र ओमकार, राकेश पुत्र लेखराज, वदन सिंह पुत्र होतराम, प्रवीन पुत्र ओमकार, अरविन्द पुत्र रामपाल, अनेन्द्र उर्फ नरेन्द्र पुत्र शिशुपाल, त्रिवेनी पुत्र वलवन्त, धनपाल पुत्र सियाराम, निंरकार पुत्र सुखलाल, सतेन्द्र पुत्र मिहीलाल, बिजेन्द्र पुत्र नेमसिंह, अवधेश पुत्र सुखलाल कुल 18 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।

तो क्या डीजे और नई परम्परा बनी विवाद की वजह?
गाँव के पूर्व प्रधान और इस मामले में आरोपी अवधेश पाल का घर कब्रिस्तान के सामने है। फिलहाल वो गाँव से फरार हैं। फोन पर बातचीत में उन्होंने बताया कि कब्रिस्तान पर मोमबत्ती जलाने के लिए सैकड़ों लोग एक साथ आए थे, ऐसा कभी नहीं हुआ। वहीं उनके आने से पूर्व अब्दुलागंज चौकी इंचार्ज ने डीजे बंद करने को कहा था। जबाव में हमने कहा कि इससे पहले तो कभी डीजे नहीं बंद करवाया गया। चौकी इंचार्ज  ने डीजे के विवाद को तूल दिया जिसकी वजह से झगड़ा हुआ, उन्हें चौकी से हटाया जाना चाहिए।

कब्रिस्तान के सामने यहाँ लगा था डीजे

वहीं रिजवान ने बताया कि जब वो कब्रिस्तान पहुँचे तो दूसरे समुदाय के लोग हाथों में लाठी-डंडे लेकर पहले से मौजूद थे। उन्होंने कब्रिस्तान के गेट पर रास्ता रोका, जब हम कब्रिस्तान में दाखिल हो गए तो छतों से पथराव हुआ। शब-ए-बारात पर कब्रिस्तान पर मोमबत्ती जलाने की परम्परा पुरानी है।

पुलिस की कार्रवाई पर सवाल
पूर्व प्रधान अवधेश पाल की माँ मायादेवी का आरोप है कि दूसरे समुदाय के लोग हमेशा नई परम्परा डालने का प्रयास करते हैं, कुछ दिनों पहले सुन्नत के जुलुस की वजह से झगड़ा हुआ था। मायादेवी का कहना है कब्रिस्तान की मजार पर अगरबत्ती लगाने के लिए हमारे समुदाय के लोग भी जाते हैं, तो हम उन्हें क्यों रोकेंगे? इस बार वो हुजूम के साथ आए थे, हमने बस वजह पूछी तो हमला कर दिया।

मायादेवी समेत अन्य महिलाएं, बच्चे

उनका आरोप है कि रिजवान ने लोगों को भड़काया है, प्रधान बनने के बाद से ही एकतरफा काम होते हैं और लोगों से पैसा वसूला जाता है। पुलिस ने भी एक ही पक्ष के लोगों को उठाया है। वहीं आरोपी सतेन्द्र के पिता मेवाराम ने बताया कि झगड़े के वक्त उनका बेटा घर में था, पुलिस ने उसे घर से उठाया है।

पुलिस की कार्रवाई के बाद एक समुदाय के सभी पुरुष भाग खड़े हुए हैं। उनके घरों में महिलाएं और बच्चे ही मौजूद हैं। महिलाओं का कहना है कि पुलिस बस हमारे ही लोगों पकड़ रही है।

चर्चा में पूर्व प्रधान बली मोहम्मद
इस घटनाक्रम में बली मोहम्मद का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है। बली मोहम्मद गाँव के प्रधान रह चुके हैं। गाँव की मौजूदा महिला प्रधान के पति रिजवान पक्ष के लोगों का आरोप है कि बली ने ही दूसरे समुदाय के लोगों को भडकाया था जिसकी वजह से यह तनाव हुआ। इंस्पेक्टर हरपाल बालियान भी इन्ही आरोपों को दोहराते हैं।

रिजवान के घर के बाहर जमा लोग

हालाँकि बलि मोहम्मद के बेटे फूल मोहम्मद ने बताया कि उनके अब्बू रात में गाँव में मौजूद नहीं थे, न ही इस विवाद का उनसे कोई लेना देना है। उन्होंने बताया कि रिजवान से उनकी चुनावी प्रतिस्पर्धी है, बाद में यह रंजिश में बदल गयी। एक जमीन का विवाद भी चल रहा है, कुछ दिनों पहले रिजवान पक्ष के लोगों ने उन पर हमला किया था। फूल मोहम्मद का कहना है कि अपनी दुश्मनी निकालने के लिए अब्बू का नाम लिखवाया गया है।

शब-ए-बारात पर नई परम्परा के सवाल पर फूल मोहम्मद का कहना है कि कब्रिस्तान में मोमबत्ती पहले भी जलाई जाती थी, दो-चार लोग ही इक्कठा होकर मोमबत्ती जलाने आते जाते रहते थे लेकिन इस बार 100-150 लोगों का हुजूम एक साथ गया था, इस नई परम्परा की वजह से गाँव में झगड़ा हुआ। रिजवान पक्ष के लोगों ने वहां दूसरे समुदाय द्वारा डीजे बजाए जाने का भी विरोध किया।

कब्रिस्तान में ही छूट गयी चप्पल
शुक्रवार की रात हुए गाँव के भयावह हालतों को कब्रिस्तान में छूटी चप्पलें भी बयां कर रही हैं। अचानक हुए पथराव में यहाँ लोगों को चप्पल पहनने का मौका भी नहीं मिला। आसपास ईंटें भी बिखरी हुई हैं। पथराव के दौरान युवक तो कब्रिस्तान की दीवार फांदकर भाग गए लेकिन बुजुर्गों को भागने का मौका नहीं मिला, जिस वजह से सबसे ज्यादा चोटिल वही हुए हैं। सूचना के बाद पहुंची पुलिस ने उन्हें वहां से किसी तरह निकालकर अस्पताल में भर्ती कराया।

कब्रिस्तान में मजार और पास में छूटी चप्पल

हालातों को भांप नहीं पाए चौकी इंचार्ज
पुलिस रिकार्ड में संवेदनशील अल्लापुर भोगी में इससे पहले भी कई सांप्रदायिकता झगडे हो चुके हैं, एक माह पहले सुन्नत के जुलूस पर भी वबाल हुआ था। दरअसल सुन्नत के बाद तीन बच्चों को बग्गी में बैठाकर जुलूस निकाला गया जिस पर दोनों समुदाय आमने सामने आ गए थे। ग्रामीणों का कहना था कि गांव में सुन्नत की रस्में पहले भी हुईं हैं लेकिन किसी ने जुलूस नहीं निकाला। जबकि शुक्रवार को गाँव में सांप्रदायिक तनाव न हो इसके लिए सुबह से अब्दुल्लागंज चौकी इंचार्ज वीकेश कुमार पुलिस फोर्स के साथ मौजूद थे लेकिन वो हालातों को भांप नहीं पाए। वीकेश कुमार यादव ने डीजे बंद करने का आदेश दिया था जिसके बाद एक समुदाय के लोग भड़क गए थे। इसके बाद वो दूसरे समुदाय के लोगों को लेकर कब्रिस्तान पहुँच गए।

अपनी जिम्मेदारी निभाने को लेकर उठे सवालों के बीच चौकी इंचार्ज वीकेश कुमार की तहरीर पर इन्ही आरोपियों को खिलाफ सरकारी कार्यों में बाधा डालने और पुलिस टीम के साथ हाथापाई करने के आरोप में नामजद किया गया है। इंस्पेक्टर हरपाल बालियान ने बताया कि गाँव में फिलहाल किसी प्रकार का तनाव नहीं है और स्थिति नियंत्रण में है। एहतियातन पुलिस बल तैनात किया गया है। घटना के बाद 7 लोगों को गिरफ्तार का लिया है, अन्य लोगों को भी जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

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