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स्वामी प्रसाद ने हिंदू धर्म को बताया धोखा, सपा नेता ने कहा- आपकी सांसद बेटी तो सनातनी है

बदायूं। समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर हिंदू धर्म को लेकर जहर उगला है। उन्होंने दिल्ली में कहा कि हिंदू एक धोखा है। वैसे भी 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हिंदू कोई धर्म नहीं है। यह जीवन जीने की एक शैली है। स्वामी प्रसाद के इस बयान के बाद सपा नेता आईपी सिंह ने उनकी बेटी और बदायूं से बीजेपी सांसद संघमित्रा मौर्य को लेकर सवाल उठाए हैं।

दिल्ली के जंतर मंतर पर मिशन जय भीम के बैनर तले राष्ट्रीय बौद्ध और बहुजन अधिकार सम्मलेन में स्वामी ने कहा, ‘जिसे हम हिंदू धर्म कहते हैं वह कुछ लोगों के लिए धंधा है। जब हम कहते हैं कि यह यह कुछ लोगों के लिए धंधा है तो पूरे देश में भूचाल मच जाता है। जब वही चीज मोहन भागवत कहते हैं, माननीय मोदी जी कहते हैं, गडकरी जी कहते हैं तो किसी की भावना आहत नहीं होती, वही चीज स्वामी प्रसाद मौर्य कहते हैं तो उनकी भावनाएं इतनी कमजोर होती हैं कि आहत हो जाती हैं।’

स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि हिंदू एक धोखा है। वैसे भी 1995 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि हिंदू कोई धर्म नहीं, जीवन जीने की शैली है। यही नहीं जो सबसे बड़े धर्म के ठेकेदार बनते हैं आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी एक नहीं दो बार कहा कि हिंदू धर्म ना का कोई धर्म नहीं है, बल्कि जीवन जीने की कला है।

वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान पर उनकी ही पार्टी के नेता और पूर्व राज्यमंत्री आईपी सिंह ने इस मामले में एक्स पर संघमित्रा मौर्य की कुछ तस्वीरें पोस्ट की। इन तस्वीरों में संघमित्रा भगवान शिव के मंदिर में पूजा करती हुई नजर आ रही हैं। आईपी सिंह ने लिखा कि जो घर फूकें आपनो चले हमारे साथ। आपकी बेटी बीजेपी से सांसद घोर सनातनी है। पहले उसे हिन्दू धर्म, सनातन धर्म की कमियों के बारे में समझा लेते। जब 5 वर्ष BJP से कैबिनेट मंत्री थे तब दो शब्द हिन्दू धर्म के बारे में मुँह से नहीं निकला। मुझे लगता है आप स्वामी जी बीजेपी के इशारे पर काम कर रहे हैं।

स्वामी प्रसाद के विवादित बयानों पर आईपी सिंह ने इससे पहले भी संघमित्रा को लेकर सवाल उठाए हैं। इसी साल सितम्बर महीने में एक पोस्ट में उन्होंने कहा कि आपकी सांसद बेटी घोर सनातनी हैं। अपने बच्चों को आपने अच्छी सनातन धर्म की शिक्षा दीक्षा दी है। फिर सनातन धर्म, हिन्दू संस्कृति, देवी देवताओं की पूजा पद्धति पर आपका विरोध बिना सिर पैर के और निजी बयान होता है पार्टी का हरगिज नहीं। बीजेपी में मंत्री थे तब एक शब्द हिन्दू धर्म के खिलाफ नहीं बोले अब बार बार क्यों विवाद पैदा करते हैं? सबसे पहले अपनी सांसद बेटी को समझाइये फिर समाज को अपना ज्ञान दीजिये। किसी धर्म की आलोचना ठीक नहीं हमारा संविधान सबको पूजा अर्चना का अधिकार देता है।

ब्राह्मण महापंचायत में उठी थी मांग
हाल ही में लखनऊ में महा ब्राह्मण समाज पंचायत का सम्मेलन हुआ था, जिसमें सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी शामिल हुए। अखिलेश यादव के सामने स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों का मुद्दा भी उठा। हिंदू धर्म और रामचरितमानस को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों पर ब्राह्मण समाज के लोगों, सपा प्रबुद्ध सभा की राज्य कार्यकारिणी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने नाम लिए बगैर आपत्ति जताई। पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने इस तरह के बयानों पर रोक लगाने की मांग की।

अखिलेश ने कहा- अंकुश लगाएंगे
अखिलेश यादव ने कहा कि इस तरह की चीजों पर अंकुश लगाया जाएगा। उन्होंने सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को यह नसीहत दी कि धर्म और जाति को लेकर टिप्पणी ना करें। अखिलेश यादव पहले भी जाति-धर्म को लेकर किसी भी तरह की टिप्पणी से बचने की हिदायत नेताओं को दे चुके हैं लेकिन इसका कुछ खास असर होता नजर नहीं आया है।

मां लक्ष्मी पर भी दे चुके हैं विवादित बयान
ऐसा पहली बार नहीं है जब स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस तरह का बयान दिया हो। इससे पहले भी वह हिंदू धर्म पर विवादित बयान दे चुके हैं। मां लक्ष्मी और रामचरितमानस पर दिए गए बयान को लेकर भी चर्चा में आए थे। बीते महीने सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने माता लक्ष्मी पर विवादित बयान दिया था और कहा था कि दुनिया में कहीं भी चार हाथ वाले बच्चे पैदा नहीं होते तो माता लक्ष्मी कैसे हो गईं?

इससे पहले उन्होंने हरदोई में मौर्य के निशाने पर हिंदू राष्ट्र के हिमायती और सवर्ण रहे। किसी का नाम लिए बिना उन्होंने कहा था कि जिसको तुम हिंदू राष्ट्र बोलते हो वह भारत राष्ट्र शापित है। यह भारत कभी भी न हिंदू राष्ट्र था, न है और न रहेगा। इसीलिए हिंदू राष्ट्र की मांग करने वाले देशविरोधी हैं।

रामचरितमानस पर विवादित बयान
रामचरितमानस पर बिहार के एक मंत्री की आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने विवादित बयान दिया था। सपा नेता ने कहा था कि रामचरितमानस में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया। तुलसीदास ने ग्रंथ को अपनी खुशी के लिए लिखा था। करोड़ों लोग इसे नहीं पढ़ते। इस ग्रंथ को बकवास बताते हुए कहा कि सरकार को इस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।

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