उझानी(बदायूं)। ब्लॉक क्षेत्र के अब्दुलागंज गांव में बनी गोआश्रय स्थल में चारे और ठंड से बचाव के कोई इंतजाम नही हैं। स्थिति यह है कि ठंड और भूख से गोवंश तड़प रहे हैं। बीते दिनों दो गौवंश की मौत के बाद उन्हें गोशाला परिसर में ही दफना दिया गया। किसी को इसकी भनक तक नहीं लगने दी गयी।
शासन के निर्देश पर बेसहारा मवेशियों के लिए गोआश्रय स्थापित किए गए हैं। गोवंशों के छाया, चारा-पानी, रख-रखाव आदि के लिए लाखों रुपये का बजट दिया जा रहा है। शासन की शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल गोशाला का संचालन मनमानी पर निर्भर हो गया है। उझानी में अब्दुलागंज ग्राम पंचायत में बना आश्रय स्थल इन दिनों बदहाल है। इस केंद्र में करीबन 35 गायों को रखा गया है। इनकी देखभाल के लिए गोशाला में महज एक ही कर्मचारी है। अफसोस की बात है कि गोवंशों को हरा चारा नसीब नहीं हो रहा है। गोवंशों के आगे सूखी पराली डाल दी जाती है। गोवंशों का पेट पराली से भरा जा रहा है। यह स्थिति पिछले कई दिनों से बनी हुई है।
ठंड से बचाने के लिए बंदोबस्त भी नहीं
गोशाला में पशुओं को ठंड से बचाव के लिए कोई अतिरिक्त बंदोबस्त नहीं हैं। गोआश्रय में टिन शेड पड़ा हुआ है, गौशाला में गायों को बचाने के लिए केवल बरसाती तिरपाल का सहारा दिया गया है, जो नाकाफी है। अक्सर गौवंश को खुले मैदान में ही छोड़ दिया जाता है। ठंड में जमीन पर बिना पराली और पत्ती के ही बैठते हैं। ठंड से बचाने के पशुओं को ना तो गुड़ मिल रहा है और न ही उन्हें ओढ़ाने के लिए टाट के बोरे हैं। कड़ाके की ठंड में अलाव की व्यवस्था नहीं है।
गोशाला परिसर में ही दफना दी गयी
अब्दुलागंज ग्राम पंचायत में बीते दिनों दो गौवंश की मौत हो गयी। हैरानी की बात है कि इन गायों को मनमाने ढंग से गोशाला परिसर में गड्ढा खोदकर दफना दिया। इस सम्बन्ध में सचिव अमोल पाराशर ने बताया कि दोनों ही गाय बीमार और बुजुर्ग थीं, इनमे एक गाय गौशाला की थी जबकि दूसरी गाय गाँव के गड्डे में मिली थी। दोनों ही गाय को बाहर दफनाया, अगर गोशाला परिसर में दफनाया गया तो यह गलत है। मैं इसका पता करता हूँ। सचिव ने बताया कि गौवंश के खान पान का भी ध्यान रखा जाएगा, गोशाला को एक महीने पहले से शुरू किया गया है। भूसे के लिए कमरा बनवाया जा रहा है।