शेखूपुर(बदायूं)। सिविल लाइन थाना क्षेत्र के शेखूपुर में गुरुवार को बारावफात के जुलूस के दौरान ‘सर तन से जुदा नारा’ के नारों से प्रशासन में हडकंप मच गया है। मामले की रिपोर्ट खुफिया विभाग तक पहुँच गयी है, साथ ही पुलिस ने भी केस दर्ज कर लिया है।
शेखूपुर कस्बे में गुरुवार को बारावफात का जुलूस निकाला गया था, इसी दौरान साहू मोहल्ले में शिव मंदिर के सामने माइक थामे एक मौलवी ने ‘गुस्ताख-ए-रसूल की एक ही सजा…सर तन से जुदा… सर तन से जुदा’ के आपत्तिजनक नारे लगाना शुरू कर दिया। मौलवी के समर्थन में आसपास के कई युवक भी आ गए और उन्होंने भी आपत्तिजनक नारे लगाए। वहीं शुक्रवार सुबह सोशल मीडिया में इन नारों का वीडियो वायरल हो गया। जिसके बाद पुलिस मामले की जांच में लग गयी। एसपी सिटी एके श्रीवास्तव ने बताया कि बारावफात जुलूस में आपतिजनक नारे लगाए गए हैं, सब-इंस्पेक्टर की तहरीर पर केस दर्ज किया गया है।
क्या है इस नारे का मतलब?
गुस्ताख ए रसूल की एक ही सजा, सर तन से जुदा, सर तन से जुदा। गुस्ताख का मतलब होता है अपमान और रसूल का मतलब है पैगंबर मोहम्मद साहब यानी पैगंबर मोहम्मद साहब का जो भी अपमान करेगा उसका सिर धड़ से अलग कर दिया जाएगा।
कहाँ से आया नारा?
यह नारा पाकिस्तान से आया है, साल 2011 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या कर दी गई थी। सलमान तासीर ने पाकिस्तान के बदनाम ईशनिंदा कानून की आलोचना की थी। जिसके बाद उन्हीं के बॉडीगार्ड मुमताज कादिरी ने सलमान तासीर को गोली मार दी। सलमान तासीर के मर्डर के बाद पाकिस्तान का सियासी माहौल खराब हो गया। इसका फायदा उठाया वहां एक मौलाना ने उठाया। इस मौलाना का नाम खादिम हुसैन रिजवी था। उसने हत्यारे गार्ड को हीरो बना दिया और पूरे पाकिस्तान में उसके समर्थन में लोगों को जुटाया।
खादिम हुसैन रिजवी के कट्टरपंथी संगठन तहरीक ए लब्बैक ने हत्यारे मुमताज को गाजी की उपाधि दी थी। इसी दौर से दो नारे निकले थे। पहला- लब्बैक रसूल अल्लाह और दूसरा गुस्ताख ए नबी की एक ही सजा, सर तन से जुदा, सर तन से जुदा। हालांकि 2016 में मुमताज कादरी को सलमान तासीर की हत्या के अपराध में फांसी दे दी गयी लेकिन इस सजा का भी इस्तेमाल मौलाना खादिम हुसैन रिजवी ने अपना प्रभाव बढाने के लिए किया। मुमताज कादरी के नमाज ए जनाजा में एक लाख से अधिक लोग आये थे। इस अपार समर्थन से खादिम हुसैन रिजवी और अधिक उत्साहित हुआ और उसने तहरीक ए लब्बैक नामक एक राजनीतिक दल भी बना लिया। उसने पाकिस्तान को सच्चा इस्लामिक मुल्क बनाने का वादा किया। खादिम हुसैन रिजवी गवर्नर के हत्यारे गार्ड के समर्थन में जहां सभा करता वहां पर‘गुस्ताख ए रसूल की एक ही सजा, सर तन से जुदा, सर तन से जुदा’ नारा लगाया जाता था।
इसके बाद साल 2018 के चुनाव में उसे नेशनल एसेम्बली में सीट तो कोई नहीं मिली लेकिन कुल वोटों का 4.9 प्रतिशत खादिम हुसैन रिजवी को मिला था। पंजाब और सिन्ध के एसेम्बली इलेक्शन में भी उसे लगभग इतने ही वोट मिले। राजनीतिक पार्टी बनाने के दो साल बाद ही नवंबर 2020 में खादिम हुसैन रिजवी संदिग्ध रूप से बुखार में मर गया लेकिन उसने “सर तन से जुदा” जो नारा दे दिया, वह न केवल पाकिस्तान बल्कि दुनिया के कई देशों में लगाया जाने लगा।
भारत में भी लगाया जाने लगा नारा
बीते कुछ वर्षों में भारत में भी यह नारा सुनाई देने लगा है। भाजपा की नेता रहीं नूपुर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद पर विवादित बयान के बाद यह नारा और ज्यादा प्रचलित हुआ। नूपुर शर्मा के विरोध में आयोजित सभाओं के दौरान भी इस नारे को कई जगहों पर सुना गया। हद तो तब हो गई जब नूपुर शर्मा का समर्थन करने पर राजस्थान के उदयपुर में टेलर कन्हैयालाल, महाराष्ट्र के अमरावती में केमिस्ट उमेश कोल्हे और कर्नाटक में प्रवीण कुमार नेत्तारू की गला काटकर हत्या कर दी गयी, वहां भी आरोपियों ने इन नारों को लगाया था।
इसके बाद मध्यप्रदेश में इन नारों को सुना गया, जहाँ गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के आदेश पर रासुक की कार्रवाई की गयी है। इसके अलावा हैदराबाद में भी यह नारा सुना गया है। यहां भाजपा के निलंबित नेता टी राजा सिंह के खिलाफ सैयद अब्दाहू कशफ ने ‘सर तन से जुदा’ के नारे लगाए थे।