उझानी। नगर पालिका उझानी क्षेत्र में न तो कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था है और न ही जलनिकासी के इंतजाम। सड़कों के नाम पर ईंटों का खंडजा है, नालियां क्षतिग्रस्त है। पेयजल और स्ट्रीट लाइट की व्यवस्थाएं भी नाकाफी हैं। ऐसे में यहां के लोग बुनियादी सुविधाओं को तरस रहे हैं।
उझानी नगर पालिका क्षेत्र में कुल 25 वार्ड हैं। करीबन 80 हजार आबादी के इस कस्बे में 52 हजार से ज्यादा वोटर हैं। यहाँ विकास के लिए नगर पालिका से हर साल बजट जारी होता है। इससे वार्डों में सड़क, पानी, साफ सफाई और पथ प्रकाश की व्यवस्था करनी होती है लेकिन धरातल पर सिर्फ कागजी कोरम पूरा किया गया है।
ज्यादातर वार्ड में खराब पड़े हैं नल
नगर पालिका इलाके में पिछले कई साल में जलस्तर में भारी गिरावट आई है। अधिकांश मोहल्लों तक नगर पालिका के पानी की पहुँच नहीं हैं और जहाँ तक पहुँचता है, वहां पानी का प्रेशर नहीं है। इस वजह से लोगों ने अपने घर के दरवाजों पर टंकी बना रखी है। हर सुबह-शाम लोग यहाँ बैठकर ही पानी भरते हैं। नगर के किलाखेडा, गद्दी टोला, साहूकारा, अहीरटोला मोहल्ले में इस तरह की तस्वीर आम बात है।
इसके आलावा 80-90 फीसद हैडपंप खराब पड़े हुए हैं। मोहल्ला श्री नारायण गंज की इंद्रा कॉलोनी में 3, स्टेशन रोड पर डॉ. एके गोयल अस्पताल के पास 1, सरौरा में 1, अयोध्या गंज के काशीराम आवास में 3, गद्दी टोला के मानिकपुर रोड पर 3, गद्दी टोला में ही काशीराम आवास में 5 नल खराब हैं। मोहल्ला किलाखेड़ा में 4, अहीरटोला में 2, भर्रा टोला में 3 हैडपंप खराब हैं। यही हाल बाकि मोहल्लों का है।
मोहल्ला गद्दी टोला के मानिकपुर रोड निवासी वसीम, इरफान, अनीस सिद्दकी ने बताया कि बीते कई महीनों से हैडपंप खराब हैं, शिकायत के बावजूद कोई समाधान नहीं हुआ। यहाँ नगर पालिका की पाइप लाइन भी नहीं बिछी है। कुछ लोगों ने घरों में सबमर्सिबल पंप लगवा लिए हैं, एक-दूसरे के घरों में लाइन लगाकर पानी भरना पड़ता है। मोहल्ले के ही अनीस सिद्दकी तो यह तक कहते हैं कि नेताजी की कोठी तक पानी पहुँचता है तो उन्हें लगता है कि पूरी उझानी में पानी की कोई समस्या नहीं है।
भर्रा टोला निवासी महावीर, रोहताश जाटब, भुवनेश ने बताया कि नल खराब होने के बाद बोरिंग नहीं कराया गया। अगर उनको रीबोर ही करा दिया जाता तो शायद पानी की समस्या खत्म हो जाती। प्याऊ भी कई वर्षों से बंद है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिम्मेदार कितने बेपरवाह हैं।
अयोध्यागंज काशीराम आवास निवासी महिला रामबेटी, संजय शर्मा बताती हैं कि हैडपम्प खराब हुए सालों बीत गए हैं, किसी ने सुध नहीं ली। पानी भरने के लिए काफी दूर जाना पड़ता है। उधर गद्दी टोला में काशीराम आवास के लोगों का हाल भी बेहाल हैं। यहाँ पानी की टंकी खड़ी है लेकिन उसका इस्तेमाल नहीं होता, एक ही गली में 5 खराब हैडपम्प हैं। काशीराम आवास के ज्यादा गटर भर चुके हैं और उनसे मलबा बाहर आ रहा है। इससे इस रास्ते से आने जाने वाले लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है। बरसात में तो लोग इस रास्ते से जाना भी पसंद नहीं करते हैं।
कूड़ेदान की व्यवस्था नहीं
गद्दी टोला के मानिकपुर रोड निवासी जाकिर, कादिर और इरफान ने बताया कि न यहाँ झाड़ू लगती है, न ही कूड़ा उठता है। वहीं गद्दी टोला की कृष्णा कॉलोनी निवासी मोहित, सुनील मिश्रा ने बताया कि उनकी गलियों में कूड़े उठाने कोई वाहन नहीं आता है। नालियां गंदगी से भरी हुई हैं, यहाँ लोग आसपास के खाली प्लाट में अपना कूड़ा डालते हैं। कूड़ेदान भी नहीं है। कस्बे में ज्यादातर वार्ड में कूड़ेदान नदारद हैं। लोगों का आरोप है कि पालिका क्षेत्र में भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने हुए साफ-सफाई करवाती है। नगर पालिका भले ही पूरे क्षेत्र में सफाई व्यवस्था को बनाए रखने के दावे करती हो लेकिन अधिकतर इलाकों में सफाई के उचित इंतजाम नहीं हैं जिस कारण गलियों के किनारे या फिर खाली पड़े प्लाटों में कचरा देखने को मिल जाता है।
अतिक्रमण का नहीं हुआ समाधान
कस्बे में फुटपाथ पर कब्जा है, सड़क पर जाम है। अतिक्रमण लोगों की बड़ी समस्या बन गया है, लोगों की इस परेशानी का निदान आज तक स्थाई समाधान नहीं हुआ। अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाकर खानापूर्ति की जाती है, कुछ ही दिनों में वापस वही हालत हो जाते हैं। सभी अपने में मस्त रहते हैं। अब बची जनता, जाम में पिसे या अतिक्रमण में, किसी को क्या लेना देना।
छुट्टा जानवर भी बड़ी समस्या
छुट्टा पशुओं से केवल ग्रामीण इलाके के लोग परेशान नहीं है बल्कि नगर पालिका इलाके में भी यह समस्या है। सड़कों पर घूमते छुट्टा पशु की वजह से लोगों को खासी परेशानी होती है। बेसहारा गोवंशों की संख्या रोजाना बढ़ रही है। नगर पालिका इस पर ध्यान नहीं देती है।
15 वर्षों की अव्यवस्था या भाजपा का फूल, कौन पड़ेगा भारी?
उझानी में 15 वर्षों से नगर पालिका अध्यक्ष की कुर्सी पर पूनम अग्रवाल काबिज है। अक्सर आरोप लगता है कि उनके कार्यकाल में कोठी क्षेत्र का विकास हुआ है। चुनावी दिनों के अलावा वो क्षेत्र में सक्रिय नहीं हैं और पालिका के कामकाज की जिम्मेदारी उनके पति विमल कृष्ण अग्रवाल संभालते हैं। भाजपा भी इसे अक्सर भुनाती आई है, बीते दिनों उझानी में भाजपा नेताओं ने ’15 साल में चेयरमैन को देखा क्या’ जैसे होर्डिंग लगवाए थे। सोशल मीडिया में भी इस नारें का खासा प्रचार-प्रसार हुआ। दरअसल बीते 2017 के निकाय चुनाव में पूनम अग्रवाल को भाजपा के प्रत्याशी शंकर गुप्ता ने कड़ी टक्कर दी थी। जहाँ 2012 में उन्होंने अपनी प्रतिद्धंदी रानी सवा को 6137 वोट से हराया था वहीं 2017 के चुनाव में उन्हें मात्र 2411 वोट से जीत मिली थी।
ऐसे में इस बार भाजपा की जीत तय मानी जा रही थी लेकिन चुनाव से कुछ ही दिन पूर्व पूनम अग्रवाल ने भाजपा का दामन थाम लिया। अब चुनाव नतीजों में 15 साल की अव्यवस्था भारी पडती है या भाजपा का फूल, यह देखना दिलचस्प होगा।