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एक फोन पर खून देने के लिए बरेली पहुँच गए उझानी के युवा

उझानी। रक्तदान एक ऐसा दान है जिसकी किसी अन्य दान से तुलना नहीं की जा सकती। जरूरतमंद लोगों को समय पर अगर रक्त न मिले तो उनकी जान तक चली जाती है। कोरोना संक्रमण की वजह से लोग रक्त दान करने अस्पताल नहीं पहुंच रहे हैं। ऐसे में कस्बें में अलमदद संस्था के युवाओं का ग्रुप मुसीबत में फंसे जरूरतमंद को खून देने के लिए बरेली पहुँच गए।

कस्बे के मोहल्ला किलाखेड़ा निवासी मो. सादिक पुत्र बन्ने करीबन 10 दिन सड़क हादसे में घायल हो गए थे। इस दौरान उनके पैर की हड्डी टूट गयी लेकिन दो दिन पहले उन्हें पता चला कि उनके पैर में संक्रमण हो गया है जिसकी वजह से पैर के ऑपरेशन की नौबत आ गयी है। परिजन उन्हें कल बरेली के राम मूर्ति हॉस्पिटल ले गए, जहाँ डॉक्टर ने 6 यूनिट खून की जरूरत बताई। परिजनों ने 3 यूनिट खून तो जुटा लिया लेकिन बाकी 3 यूनिट खून जुटाना मुश्किल हो गया। उन्होंने उझानी में एक परिचित के माध्यम से एनजीओ अलमदद से सम्पर्क किया तो एक फोन कॉल पर ही संस्था के 3 युवा खून देने के लिए राजी हो गए। अगले कुछ ही घंटों में आतिफ खान, कबीर अहमद, सद्दाम अंसारी ने बरेली अस्पताल में एक-एक यूनिट ब्लड डोनेट किया।

अपना खून देकर किसी की जिंदगी बचाने से बड़ा पुण्य का काम कोई दूसरा नहीं। इंसान ने कई तरह के कृत्रिम अंग तो बना लिए लेकिन खून को लैब में आज तक नहीं बनाया जा सका। इसकी जरूरत के लिए इंसान आज भी स्वैच्छिक डोनर पर ही निर्भर है। रक्तदान करने से न सिर्फ किसी को नया जीवनदान मिलता है बल्कि हमें भी अपने किये पर गर्व होता है और पीडि़त मानवता की सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं हो सकता। इसी भाव को लेकर संस्था के युवाओं ने खून दिया।

कस्बे में एनजीओ अलमदद काफी वक्त से सामाजिक कार्य कर रही है। कोरोना संक्रमण में दैनिक मजदूर और निम्नवर्ग के लोगों को जीवनयापन मुश्किल हो गया है। कस्बे में जहां पर भी ऐसे लोगों का पता चलता है जिन्हे इस समय मदद की बेहद आवश्यकता है, टीम वहाँ उन्हे राशन किट उपलब्ध कराती है। संस्था द्वारा तैयार की गई राशन किट में आटा, चावल, दाल, तेल, नमक, बिस्किट और नमकीन होता है।

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