लखनऊ। यूपी विधानसभा में उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक पास हो गया है। इससे अब गुमराह कर शादी करने और अनुसूचित जाति व जनजाति (एससी-एसटी) के लोगों को धर्म परिवर्तन कराने पर आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी। विधानमंडल सत्र के दूसरे दिन विधेयक को मंजूरी दे दी गई है।
यूपी सरकार ने सोमवार को विधानसभा में यह विधेयक पेश किया था जिसे मंगलवार को पास कर दिया गया। अब इसे विधान परिषद को भेजा जाएगा। दोनों सदनों से पारित होने के बाद राज्यपाल के पास जाएगा। फिर इसे राष्ट्रपति को भेजा जाएगा। वही इस पर अंतिम फैसला लेंगी। यह संशोधन विधेयक धर्म परिर्वतन के अपराध की संवेदनशीलता और गंभीरता के मद्देनजर लाया गया है। इससे विदेशी एवं राष्ट्र विरोधी ताकतों की संगठित साजिश को रोका जा सकेगा। इसी वजह से सजा और जुर्माने की राशि को बढ़ाने के साथ जमानत की कड़ी शर्तों के प्रावधान किए गये हैं। साथ ही नाबालिग, दिव्यांग और मानसिक रूप से अस्वस्थ लोगों को भी इस अपराध का शिकार होने से बचाया जा सकेगा।
जानें नए बिल में क्या है प्रावधान
1. नए कानून में दोषी पाए जाने पर 20 साल की कैद या आजीवन कारावास का प्रावधान है।
2. अब कोई भी व्यक्ति धर्मांतरण के मामलों में एफआईआर दर्ज करा सकता है।
3. पहले मामले में सूचना या शिकायत देने के लिए पीड़ित, माता-पिता या भाई-बहन की मौजूदगी जरूरी थी।
4. लव जिहाद के मामलों की सुनवाई सत्र न्यायालय से नीचे की कोई अदालत नहीं करेगी।
5. लव जिहाद के मामले में सरकारी वकील को मौका दिए बिना जमानत याचिका पर विचार नहीं किया जाएगा।
6. इसमें सभी अपराधों को गैर-जमानती बनाया गया है।
संशोधन में शामिल किए गए ये अपराध
बिल संशोधन में कई नए अपराध भी शामिल किए गए हैं। दिव्यांग ,मानसिक दुर्बल को बहला फुसला के धर्मांतरण कराने पर 5-14 साल जेल, एक लाख जुर्माना की सजा मिल सकेगी। अवैध धर्मांतरण के लिये विदेशी फंडिंग पर 7–14 साल जेल, दस लाख जुर्माना की सजा का प्रावधान किया गया है। अवैध धर्म परिवर्तन के लिए मानव तस्करी करने वालों को पच्चीस साल जल की सजा से लेकर आजीवन कारावास की सजा मिल सकेगी।
2020 में बनाया गया था पहला कानून
बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने लव जिहाद के खिलाफ पहला कानून 2020 में बनाया था। इसके बाद यूपी सरकार ने विधानसभा में धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2021 पारित किया। इस विधेयक में 1 से 10 साल तक की सजा का प्रावधान था। संशोधन के जरिये पिछले विधेयक को सजा और जुर्माने की दृष्टि से और मजबूत किया गया है।