बदायूं। जनपद से एमएलसी के लिए सपा प्रत्याशी सिनोद शाक्य ने बुधवार को अचानक अपना पर्चा वापस ले लिया है। सपा प्रत्याशी के नाम वापस लेने से भाजपा प्रत्याशी वागीश पाठक का निर्विरोध निर्वाचन तय हो गया है। 24 मार्च को नाम वापसी का समय पूरा हो जाने के बाद उन्हें प्रमाणपत्र दिया जाएगा। उधर सिनोद शाक्य द्वारा पर्चा वापस लेने की खबर मिलते ही समाजवादी पार्टी नेताओं में खलबली मच गई है।
जनपद में पिछले साल हुए ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत चुनाव में भाजपा का दबदबा रहा। वहीं विधानसभा चुनाव में भाजपा को निराशा मिली, सपा को तीन सीट पर जीत मिली। इससे भाजपा को दो सीटों का नुकसान हुआ। ऐसे में माना जा रहा था कि एमएलसी चुनाव में जबरदस्त टक्कर देखने को मिलेगी। समाजवादी पार्टी ने कद्दावर नेता और दातागंज से दो बार विधायक रह चुके सिनोद शाक्य को उम्मीदवार बनाया। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी के भरोसेमंद नेता और पूर्व सांसद धर्मेन्द्र यादव को बदायूं की जिम्मेदारी सौंपी
नामांकन के बाद धर्मेन्द्र यादव ने कहा कि बदायूं समाजवादी का है और रहेगा। विधानसभा चुनाव में बदायूं की जनता ने भाजपा को जबाव दे दिया है, सपा को तीन सीटों पर विजय मिली है, अब एमएलसी भी जीतेंगे। लेकिन उससे पहले ही बुधवार को सिनोद ने पर्चा वापस लेकर सबको चौंका दिया। बताया जाता है कि बुधवार दोपहर में तीन बजे सिनोद शाक्य और उनके अभिकर्ता मोहम्मद आजम ने दोपहर तीन बजे अचानक कलेक्ट्रेट पहुँचे और पर्चा वापस कराने के बाद चुपचाप चले गए।
इसकी जानकारी सामने आते ही भाजपाइयों में खुशी की लहर दौड़ गई। वागीश पाठक के निर्विरोध एमएलसी चुने जाने की खुशी में बीजेपी के नेताओं ने एक दूसरे को मिठाई खिलाई। उनके आवास पर भाजपा जिलाध्यक्ष राजीव कुमार गुप्ता, पूर्व विधायक धर्मेंद्र शाक्य, पूर्व जिलाध्यक्ष अशोक भारतीय सहित तमाम पार्टी पदाधिकारी एवं नेतागण पहुँचे। उधर नाम वापसी की खबर फैलते ही समाजवादी पार्टी के नताओं में खलबली मच गयी। पार्टी के किसी पदाधिकारी को इसकी जानकारी ही नहीं थी।
तो भाजपा में शामिल होंगे सिनोद?
सपा नेता सिनोद शाक्य दातागंज विधानसभा से बसपा में रहते हुए 2 बार विधायक भी चुने गए थे लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव के दौरान वो समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। बताया जाता है कि उस दौरान उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट का आश्वासन दिया गया था। सपा ने उनकी पत्नी को जिला पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव भी लड़ाया, लेकिन वह जीत न सकीं। वहीं बीते विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने दातागंज से कैप्टन अर्जुन को टिकट थमा दिया हालाँकि वो भी जीत न सके।
चर्चा है कि सिनोद शाक्य मंगलवार को लखनऊ गए थे। यहां उनकी भाजपा नेताओं से मुलाकात हुई थी। इसके बाद उन्होंने बुधवार को पर्चा वापस ले लिया। अब उनके भाजपा में शामिल होने की भी अटकलें लगाई जा रही हैं। भाजपा को लोकसभा सीट बचाए रखने के लिए कद्दावर ओबीसी नेता की जरूरत है, माना जा रहा है कि मौजूदा संघमित्रा मौर्य के बगावती तेवर को देखते हुए भाजपा सिनोद शाक्य को 2024 लोकसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार घोषित कर सकती है।