आजमगढ़। समाजवादी पार्टी का गढ़ मानी जाने वाली आजमगढ़ लोकसभा सीट भाजपा के खाते में चली गयी है। आजमगढ़ सीट पर भोजपुरी गायक और अभिनेता दिनेश लाल यादव निरहुआ ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी धर्मेंद्र यादव को आठ हजार से अधिक मतों से पराजित कर दिया। धर्मेन्द्र यादव की इस हार के बाद उनके एक बयान को लेकर मुस्लिम समाज में नाराजगी है।
आजमगढ़ उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने नामांकन के आखिरी दिन पूर्व सांसद धर्मेन्द्र यादव को उम्मीदवार बनाया। टिकट मिलते ही धर्मेन्द्र यादव ने आजमगढ़ आकर पार्टी की ओर से अपना पर्चा भरा जबकि उपचुनाव में बीजेपी ने दिनेश लाल निरहुआ को दोबारा उम्मीदवार बनाया। 2019 का चुनाव वह अखिलेश यादव से हार गए थे लेकिन इस उपचुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की। निर्वाचन आयोग के अनुसार निरहुआ को 312432 मत मिले जबकि सपा के धर्मेन्द्र यादव को 303837 मत मिले। कड़े मुकाबले में बसपा के शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने भी 266106 मत हासिल किये। आजमगढ़ में 5369 लोगों ने नोटा (किसी भी उम्मीदवार को वोट नहीं देने का विकल्प) का बटन दबाकर उसे चौथा स्थान दिया।
नतीजे आने के तुरंत बाद स्थानीय लोगों को संबोधित करते हुए धर्मेन्द्र यादव ने कहा कि मै माइनॉरिटी (मुसलमान) भाइयों से कहूँगा कि हम समाजवादियों की कितनी परीक्षा ली जाएगी, कब तक भाजपा-बसपा के गठबंधन के बीच गुमराह होते रहोगे। बहुजन समाज पार्टी ने भाजपा की बी टीम बनकर काम किया और आपके वोटों में सेंध लगाने के लिए बसपा नेता और उनके उम्मीदवार लगे हुए थे। माइनॉरिटी के लोग मेरी हार से सबक लें, प्रदेश में भाजपा से केवल समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव लड़ रहे हैं। अगर आप ही ताकत नहीं दोगे तो भाजपा से कैसे निपटोगे, कब तक धोखा खाओगे?
धर्मेन्द्र यादव ने आगे कहा कि बसपा-भाजपा ने साथ मिलकर सरकार बनाई है। विधानसभा चुनाव में भाजपा और बसपा का गुप्त समझौता था। इस हार के बाद सोचना कि आपकी थोड़ी और दुआएं मिल जाती तो आजमगढ़ में भाजपा का खाता नहीं खुलता। न जाने क्यों आप गुमराह हो गए?
धर्मेन्द्र यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘हम लोग शायद अपने माइनॉरिटी (मुसलमान) भाइयों को समझाने में असफल हुए। प्रयास बहुत किया, लेकिन आज मुझे उम्मीद है कि इस परिणाम के बाद शायद हमारे माइनॉरिटी भाइयों और बहनों की जरूर आंख खुलेगी कि आखिर बहुजन समाज पार्टी जिन उम्मीदवारों के साथ जिस तरह से चुनाव लड़ रही थी, उसका कारण क्या था। कम से कम आज आखें खुल जाएं।’
धर्मेंद्र यादव ने अपने इस बयान से इशारा किया कि आजमगढ़ में मुस्लिम वोटर्स ने उनकी बजाय बसपा के गुड्डू जमाली को वोट किया। इसके चलते वह हार गए। वह बसपा सुप्रीम मायावती पर तंज कसने के साथ-साथ मुस्लिम वोटर्स पर भी अपनी हार का ठीकरा फोड़ रहे हैं।
धर्मेन्द्र का यह बयान सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है, इस बयान पर मुसलमानों ने खुलकर नाराजगी जाहिर की है। तारिक अनवर ने लिखा है कि लोकतंत्र का मतलब माटी से लगाव भी होता है। धर्मेन्द्र जी दिल पर हाथ रखकर बताए की नॉमिनेशन से पूर्व आखिरी बार आजमगढ़ कब आए थे? जमाली 24 घंटा उस मिट्टी के लिए समर्पित है बावजूद मुसलमानों ने धर्मेन्द्र को वोट दिया वरना डेढ़ लाख तक पहुंचने में पसीना छूट जाता। फिर भी दोषी मुसलमान है?
उस्मानी ने लिखा कि इनकी फितरत में शामिल है, जीतेंगे तो खुद की पीठ थपथपाएँगे और हारेंगे तो मुसलमानों को ज़िम्मेदार ठहराएँगे। खुद का यादव वोट बैंक संभाला नहीं जा रहा है और आए हैं बात करने। इनकी औकात ही नहीं कि ये बीजेपी जैसी पार्टी को टक्कर दे पाएं। ये बस महल में बैठ कर ट्वीट ट्वीट खेलें। ये यहीं तक सीमित है।
इनकी फ़ितरत में शामिल है,जीतेंगे तो खुद की पीठ थपथपाएँगे और हारेंगे तो मुसलमानों को ज़िम्मेदार ठहराएँगे।खुद का यादव वोट बैंक संभाला नहीं जा रहा है और आए हैं बात करने। इनकी औकात ही नहीं कीयेbjpजैसी पार्टी को टक्कर दे पाएं।ये बस महल में बैठ कर ट्वीट ट्वीट खेलें।ये यहीं तक सीमित है
— Usmani(عثمانی) (@MUUsmani8) June 26, 2022
अशरफ हुसैन ने लिखा कि वही पुरानी आदत, अपनी हार का जिम्मेदार कहीं न कहीं मुसलमानों को बता दो, सारे सवाल जवाब खत्म। जवाब में इमरान मलिक ने लिखा कि मुस्लिम वोट करना ही बन्द कर दे समाजवादी को वही बेहतर रहेगा क्योकि हमेशा हार का ठीकरा मुस्लिमो के सर बांध दिया जाता है।
वही पुरानी आदत,
— Ashraf Hussain (@AshrafFem) June 26, 2022
अपनी हार का जिम्मेदार कहीं न कहीं मुसलमानों को बता दो, सारे सवाल जवाब खत्म…??♂️ pic.twitter.com/fjr2TMpUpz
मोहम्मद शफीक ने लिखा कि मुसलमानों को तो बस तुम बेवकूफ समझते हो कि वह तुम्हें बिना किसी मतलब के वोट दिए जाए। जब वोट लेना है तो उनके लिए कुछ करना पड़ता है उनके मसले में बोलना पड़ता है, उनकी सपोर्ट करना पड़ता है। उन पर जुल्म होता है तुम चुपचाप रहते हो। वोट लेने के टाइम पर केवल बिल से बाहर निकल के आते हो।
शहनवाज अंसारी ने लिखा है कि आज़मगढ़ से हारे हुए सपा उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव ने अपनी हार का ज़िम्मेदार मुसलमानों को ठहराया है। मायावती ने आज़मगढ़ से बसपा उम्मीदवार गुड्डू जमाली की हार का ज़िम्मेदार मुसलमानों को ठहराया है। इन दोनों नेताओं की मानें तो दलित/यादव वोटर्स पूरी ईमानदारी से इन्हें वोट किये हैं। जबकि हकीकत बिल्कुल इसके बर-अक्स है। मुसलमानों ने अगर सपा को वोट न किया होता तो सपा को एक लाख वोट भी नहीं मिला होता। इन्हें ये सच बोलने में डर लग रहा है कि यादव वोट भाजपा को शिफ़्ट हो गया। क्योंकि ये अपनी जाति को नाराज़ करना नहीं चाहते। इसलिए मुसलमानों को जिम्मेदार बता दिया।
जबकि हक़ीक़त बिल्कुल इसके बर-अक्स है।
— Shahnawaz Ansari (@shanu_sab) June 26, 2022
मुसलमानों ने अगर सपा को वोट न किया होता तो सपा को एक लाख वोट भी नहीं मिला होता। इन्हें ये सच बोलने में डर लग रहा है कि यादव वोट BJP को शिफ़्ट हो गया। क्योंकि ये अपनी जाति को नाराज़ करना नहीं चाहते। इसलिए मुसलमानों को ज़िम्मेदार बता दिया। 2/2
पत्रकार परवेज अहमद ने लिखा है कि आजमगढ़ के मुस्लिमों को खुश होना चाहिए, सपा प्रत्याशी धर्मेन्द्र यादव ने हार का ठीकरा उन पर फोड़ा है। कहा, माइनरटी को समझाया, पर नहीं समझे। यानी जीतो तो “यादव” ने जिताया, हारो तो मुसलमान जिम्मेदार। अब बूथ चेक करिये “यादव” जी फिर बताइए कितने प्रतिशत यादव निरहुआ के साथ था! बीइंग मुस्लिम , आज़मगढ़ के उन 20 प्रतिशत मुस्लिमों को मुबारकबाद जिन्होंने सपा का बंधुआ होने का “जुआं ” गर्दन से उतार फेका, अपनी स्वतंत्र पहचान के लिए और इस संकेत के लिए कि अब भाजपा को हराने का “ठेका” मुसलमान नहीं लेगा। जिसे मन करेगा, उसे वोट देंगे। बधाई स्वीकारिए आज़मगढ़।
बीइंग मुस्लिम , आज़मगढ़ के उन 20% मुस्लिमों को मुबारकबाद जिन्होंने सपा का बंधुआ होने का “जुआं ” गर्दन से उतार फेका, अपनी स्वतंत्र पहचान के लिए. और इस संकेत के लिए कि अब भाजपा को हराने का “ठेका” मुसलमान नहीं लेगा .जिसे मन करेगा , उसे वोट देंगे . बधाई स्वीकारिए आज़मगढ़ !!
— Parvez Ahmad (@parvezahmadj) June 27, 2022
मोहम्मद हमजा खान ने लिखा है कि अखिलेश जी मुसलमान आप का गुलाम नहीं है की आप उसके मुद्दों पर ख़ामोश रहोगे तो भी आप को वोट देता ही रहेगा। विधानसभा चुनाव में की गयी गलती को अब मुसलमान सुधारना चालू कर चुका है। अगर आप मुसलमानों के मुद्दों पर खुल कर साथ नहीं देंगे तो आज़मगढ़ और रामपुर जैसे रिज़ल्ट 2024 में भी मिलेंगे।
अखिलेश जी मुसलमान आप का ग़ुलाम नहीं है की आप उसके मुद्दों पर ख़ामोश रहोगे तो भी आप को वोट देता ही रहेगा,विधानसभा चुनाव में की गयी गलती को अब मुसलमान सुधारना चालू कर चुका है अगर आप मुसलमानों के मुद्दों पर खुल कर साथ नहीं देंगे तो आज़मगढ़ और रामपुर जैसे रिज़ल्ट 2024 में भी मिलेंगे
— Mohammad Hamza Khan (@Mohamma67567252) June 28, 2022
मरूफ खान ने लिखा है कि धर्मेंद्र यादव कह रहे हैं की माइनॉरिटी के भाइयों के समझाने में हमसे कमी रही, मायावती कह रही है धर्म विशेष के लोगों को और ज़्यादा समझाने की ज़रूरत है। ये वो बगैरत लोग हैं जिनको मुसलमान नाम ज़बान पर भी लाने में शर्म आती है फिर इनको हमारा वोट चाहिए। मुसलमान वोट देकर भी वफादार न हुआ।
धर्मेंद्र यादव कह रहे हैं की माइनॉरिटी के भाइयों के समझाने में हमसे कमी रही,
— MAROOF KHAN (@MaroofKhanAIMIM) June 26, 2022
मायावती कह रही है धर्म विशेष के लोगों को और ज़्यादा समझाने की ज़रूरत है।
ये वो बगैरत लोग हैं जिनको मुसलमान नाम ज़बान पर भी लाने में शर्म आती है फिर इनको हमारा वोट चाहिए
मुसलमान वोट देकर भी वफ़ादार न हुआ
मायावती ने भी दिया था ऐसा ही बयान
इसी साल मार्च में जब 2022 के विधानसभा चुनाव का परिणाम आया तो बसपा सुप्रिमो मायावती ने भी कुछ ऐसा ही बयान दिया था और अब धर्मेन्द्र यादव ने हारने के बाद मुसलमानों पर गुमराह होने से बचने को कहा है। मतलब समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी दोनों का एक ही शिकवा है कि मुसलमानों ने उन्हें वोट नहीं दिया इसलिए भाजपा जीत गई और वो हार गए। उत्तर प्रदेश की दो प्रमुख पार्टियों की बस एक ही ख्वाहिश है कि मुसलमान भाजपा को हराने का झंडा उठाकर इन्हें अपना एकमुश्त वोट सौंप दे और अगर वो वैसा नहीं करता है तो वो गुमराह माना जाएगा।
मुसलमान आपकी जागीर है क्या?
धर्मेन्द्र यादव के बयान पर बसपा उम्मीदवार शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने पलटवार करते हुए कहा कि ये हारने के बाद आरोप लगा रहे हैं कि मुसलमान बहक गए। ये कहने की हिम्मत नहीं है कि इनका समाज बहक गया। गुड्डू जमाली ने तल्ख अंदाज में कहा- मुसलमान आपकी जागीर है क्या?
जमाली ने सपा को निशाने पर लेते हुए आगे कहा कि इन्हें दरी बिछाने वाले मुसलमान पसंद हैं, बोलने वाले नहीं। भाजपा का नाम लेकर मुसलमान वोट देते रहें बस यही बना रखा है। मुसलमान समझ चुका है, भाजपा को कोई रोक सकता है तो वो बहुजन समाज पार्टी है।जमाली ने आगे कहा कि जहां एक भी कोई समाज के लोग नहीं हैं वहां निरहुआ जी को वोट किसने दिया है, क्या देवताओं ने दिया? फरिश्ते आकर बटन दबा रहे थे? इन्हीं के समाज ने दिया। मुसलमान वहीं हैं जहां रहना चाहिए था। आपके किसी नेता में दम नहीं है कि आजमगढ़ में गुड्डू जमाली को परास्त कर दे।
धर्मेंद्र की सियासी कर्मभूमि पर भी सवाल
धर्मेन्द्र यादव को उपचुनाव के नामांकन के आखिरी दिन उम्मीदवार बनाया गया था। अहम बात यह है कि ब्लॉक प्रमुख से सियासी कॅरिअर की शुरुआत करने वाले धर्मेंद्र वर्ष 2004 में मैनपुरी और वर्ष 2009 और 2014 में बदायूं से लोकसभा पहुंचे। वर्ष 2019 में वे बदायूं में भाजपा की संघमित्रा से चुनाव हार गए। तीन साल में धर्मेंद्र यादव की लोकसभा चुनाव में लगातार दूसरी हार है।
आजमगढ़ उपचुनाव में जाने के बाद उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि यहां से जीतने के बाद वर्ष 2024 में उन्हें दोबारा मौका मिलना तय है लेकिन इस हार से समीकरण बदल गए हैं। अब धर्मेंद्र के लिए लोकसभा की कौन सी सीट तय होगी, इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई है।