बदायूं। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लगातार दूसरी बार भाजपा सरकार बनने के बाद अब राज्य में कई बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। इसमें एक बड़ा बदलाव यूपी के शहरों के नाम बदलने से जुड़ा है। इनमें लगभग 12 जिले शामिल हैं, इसमें जनपद बदायूं का नाम बदलने की भी चर्चा तेज है। योगी आदित्यनाथ ने 5 महीने पहले सहसवान में एक सभा को संबोधित करते हुए इसका संकेत भी दिया था।
प्रदेश की सत्ता में आने के बाद से सीएम योगी आदित्यनाथ जिलों, शहरों का नाम बदलने को लेकर चर्चा में रहे हैं। उन्होंने मुगलसराय स्टेशन का नाम बदलकर दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर कर दिया था। इलाहाबाद शहर का नाम प्रयागराज और फैजाबाद जिले का नाम बदलकर अयोध्या किया। वहीं योगी सरकार की वापसी के बाद यह सिलसिला फिर से शुरू होने वाला है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, योगी सरकार यूपी के करीबन 12 जिलों के नाम बदलने की तैयारी कर रही है। जिन 6 जिलों के नाम सरकार पहले बदल सकती है उनमें बदायूं, अलीगढ़, फर्रूखाबाद, सुल्तानपुर, फिरोजाबाद और शाहजहांपुर शामिल हैं।
इसके बाद मैनपुरी, संभल, देवबंद, गाजीपुर, आगरा का नाम भी बदला जा सकता है। कानपुर देहात के रसूलाबाद और सिकंदराबाद और अकबरपुर रनिया में नामों को लेकर प्रस्ताव बनाने को लेकर प्रशासन को निर्देश मिले हैं। भाजपा नेताओं और हिंदूवादी संगठनों की ओर से सुल्तानपुर का नाम कुश भवनपुर, अलीगढ़ का नाम हरिगढ़, मैनपुरी का नाम मयनगर, फिरोजाबाद का चंद्रनगर, आगरा का नाम अग्रवन, फर्रूखाबाद का नाम पांचाल नगर, मुजफ्फरनगर का नाम लक्ष्मी नगर, मैनपुरी का नाम मयानपुरी, संभल का नाम कल्कि नगर या पृथ्वीराज नगर, देवबंद का नाम देववृंदपुर, गाजीपुर का नाम गढ़ीपुरी और आगरा का नाम अग्रवन करने की मांग की गयी है।
हालाँकि बदायूं जिले में किसी की ओर से नाम बदलने का कोई प्रस्ताव नहीं है लेकिन योगी ने विधानसभा चुनाव के दौरान 9 नवंबर 2021 को सहसवान में एक सभा को संबोधित करते हुए इसका इशारा किया था। योगी ने कहा, “एक जमाने में बदायूं को वेदामऊ के नाम से जाना जाता था। चूंकि यह वेदों के अध्ययन के केंद्र के रूप में प्रसिद्ध रहा है। महाराज भगीरथ, जिनके प्रयासों की बदौलत गंगा नदी पृथ्वी पर आईं, उनका भी इस जगह से नाता है।” माना जा रहा है सरकार की नामकरण लिस्ट में बदायूं भी शामिल है।
क्या है बदायूं का इतिहास?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, बदायूँ को अहीर सरदार राजकुमार बुद्ध ने 10वीं शताब्दी में बसाया था। इसका शुरूआती नाम बुद्धमऊ भी रहा। वेदों की शिक्षा का केंद्र होने के कारण यह जगह वेदामऊ भी कहलायी। कुछ लोगों का यह मत है कि बदायूँ की नींव अजयपाल ने 1175 ई. में डाली थी। राजा लखनपाल को भी नगर के बसाने का श्रेय दिया जाता है।
जिले की आधिकारिक वेबसाइट ने प्रोफेसर गोटी जॉन का उल्लेख करते हुए कहा है कि इस शहर का नाम एक प्राचीन शिलालेख में ‘वेदामूथ’ रखा गया था, जो वर्तमान में लखनऊ संग्रहालय में है। उस अवधि के दौरान, प्रदेश को ‘पांचाल’ के नाम से जाना जाता था। पत्थर पर लिखी एक पंक्ति से पता चलता है कि बदायूं शहर के पास ‘भदौनलक’ नाम का एक गाँव था। इतिहासकार रोज खान लोधी ने लिखा था कि यहां राजा अशोक ने एक बौद्ध विहार और एक किले का निर्माण कराया था और इसका नाम ‘बौद्धमऊ’ रखा था।