उझानी(बदायूं)। सड़क पर बैठी आवारा गायें रात के समय चालकों को नहीं दिखती हैं। जिससे अक्सर दुर्घटना का शिकार हो रही हैं। इस तरह की दुर्घटना रोकने के लिए युवा गोवंशों को रेडियम बेल्ट पहना रहे हैं। जिससे दुर्घटनाओं से इंसान और मवेशी दोनों सुरक्षित रहें।
सड़क पर गायों की संख्या बढऩे से दुर्घटना के मामले ज्यादा हो गए हैं। आवारा गायों के पुनर्वास के सभी प्रयास विफल नजर आ रहे हैं। सड़क पर मौजूद गायों के साथ अक्सर रात को दुर्घटना हो रही है। ऐसे में नगर के कुछ युवा हादसों को रोकने के लिए आगे आए है। वे रात में निकलते है और सड़क किनारे बैठने वाले आवारा मवेशियों को रेडियम वाला बेल्ट पहना रहे है। ताकि वाहन की रौशनी पड़ने पर बेल्ट के चमकने से बाइक, हल्के और भारी वाहन चालक सतर्क हो जाए, जिससे दुर्घटना न हो। नगर के युवा सूर्या ठाकुर, आशीष श्रीवास्तव, श्याम शर्मा. नमन सैनी, पंकज गंगवार, प्रिंस ठाकु, ललित, विष्णु, सूरज (नन्हे), शिवा, अर्चित, रवि और अवनीश शर्मा बीते सात दिनों से रोज रात में आवारा मवेशियों को रेडियम बेल्ट पहना रहे है। श्याम ने बताया कि पशु प्रेमी विकेंद्र शर्मा द्वारा उझानी हेल्पिंग के लिए 11 दिन का संकल्प लिया। 7 दिनों में करीब 350 आवारा मवेशियों को रेडियम बेल्ट पहना दिया है।
श्याम ने बताया कि गोवंशों की सुरक्षा करना हमारा प्रथम कर्तव्य है। आज देखा जा रहा है की गोवंशों को पशु पालकों के द्वारा खुला छोड़ देने से सड़क में वे अपना निवास बनाते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि रात में गोवंशों का एक्सीडेंट ज्यादातर देखने को मिलता है। क्योंकि रात में गोवंश रोड पर रहते हैं। गोवंश दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे है। साथ ही छोटे वाहन चालक भी सड़क दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं, जिससे लोगों की मृत्यु हो रही है। उन्होंने आम जनता से अपील की है कि गाय माता का स्वरूप है, उन्हें सड़कों मे खुला ना छोड़ें। इस रेडियम बेल्ट की वजह से हम गोवंश का एक्सीडेंट होने से बचा सकते हैं।
वहीं नमन सैनी ने बताया कि गायों के गले में रेडियम बैंड लगाना बिल्ली के गले में घंटी बांधने जैसा है। छोटे बछड़ों के गले में बैंड बांधना आसान है लेकिन बड़ी गाय व सांड़ के गले में बैंड बांधना काफी खतरे से भरा कार्य है। कई बार बैंड बांधते समय गाय व बैल घसीटने लगते हैं। हमला करने की भी संभावना रहती है। इसके बाद भी गायों की सुरक्षा के लिए दल के सदस्य अपने कार्य से समय निकालकर लगे हुए हैं।
सड़कों पर गौवंश
उझानी ब्लाक क्षेत्र में कामधेनु गौशाला सहित कुल 19 गोशालाएं हैं। प्रदेश सरकार की ओर से अनुदान के रुप में कामधेनु गौशाला को दस रुपए प्रति पशु के हिसाब से अनुदान मिलता है जबकि सरकारी गौ आश्रय स्थलों को 50 रुपए प्रति पशु अनुदान मिलता है। यह गौशाला मंडी में किसानों से अनाज बिक्री पर काटे जाने वाले आधा प्रतिशत टैक्स से संचालित होती है। यह टैक्स भी गल्ला आढ़तियों के द्वारा किसानों से अनाज बेचने पर लेकर गऊशाला को भेजा जाता है। इसके बावजूद भी गौवंश सडकों पर है। नगर में तमाम गली-मोहल्लों समेत सब्जी मंडी के आसपास गोवंश मंडराते हैं। सड़ी-गली सब्जी पर ही ये भोजन के लिए निर्भर हैं। दुखद है कि पॉलीथिन भी खाने रहने के कारण इन गायों की मौत बड़ी दर्दनाक होती है लेकिन नगर पालिका गायों को गौशाला भेजने के लिए सजग नहीं है।