आजमगढ़। स्वाट टीम की हिरासत में आजमगढ़ के पवई निवासी जियाउद्दीन की मौत के मामले में टीम पर निलंबन की गाज गिरी है। युवक की मौत के मामले में स्वाट की बी टीम के प्रभारी समेत आठ पुलिसकर्मियों को एसपी ने निलंबित कर दिया है। इससे पहले इन सभी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध अकबरपुर कोतवाली में हत्या व अपहरण की धाराओं में केस दर्ज कर लिया गया था।
जैतपुर थाना क्षेत्र में हुई लूट के मामले में पुलिस ने 50 हजार के इनामी बदमाश उमानाथ गिरि को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। इसी मामले में आजमगढ़ जनपद के निजामाबाद परसहां निवासी कमर रशीद की तलाश थी। मुखबिर से सूचना मिली थी कि जियाउद्दीन कमर रशीद के बारे में जानकारी दे सकता है। इसके बाद पुलिस ने अम्बेडकरनगर की क्राइम ब्रांच ने आजमगढ़ जनपद के पवई थाना क्षेत्र निवासी जियाउद्दीन (36) को जिले की स्वाट टीम ने 24 मार्च की शाम आजमगढ़ जनपद क्षेत्र से उठा लिया। जिला मुख्यालय से बीस किलोमीटर दूर स्थित एक थाने में ले जाकर स्वाट टीम ने जियाउद्दीन से पूछताछ की। स्वाट टीम के सदस्य जब पूछताछ कर संबंधित थाने से चले आए तो जियाउद्दीन की हालत बिगड़ गई। कुछ देर बाद थाना प्रभारी ने स्वाट टीम के सदस्यों को फोन कर कहा कि आकर अपनी बला ले जाओ।
25 मार्च की आधी रात के बाद जिला अस्पताल में पुलिस की ओर से भर्ती कराने के थोड़ी देर बाद ही उसकी मौत हो गई। परिवारीजनों ने पुलिस कर्मियों पर टार्चर करने तथा पीट-पीटकर जान लेने का आरोप लगाया था। पुलिस के अनुसार उसकी मौत हार्ट अटैक से हुई थी। वीडियोग्राफी के बीच शुक्रवार देर रात ही दो चिकित्सकों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पुलिस की बर्बरता को बेनकाब कर दिया। पोस्टमार्टम में जियाउद्दीन के शरीर पर चोट के जो आठ से ज्यादा निशान पाए गए हैं, वह अलग-अलग हिस्सों में है। जियाउद्दीन के भाई शहाबुद्दीन की तहरीर पर अकबरपुर कोतवाली में स्वाट की बी टीम के प्रभारी देवेंद्र पाल सिंह व उनके हमराही सिपाहियों के विरुद्ध हत्या व अपहरण की धाराओं में केस दर्ज हुआ। केस दर्ज होने से पहले प्रकरण संज्ञान में आते ही एसपी आलोक प्रियदर्शी ने देवेंद्र पाल व स्वाट टीम के सात सिपाहियों को तत्काल प्रभाव से लाइन हाजिर कर दिया था। शुक्रवार देर रात सभी आठ पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज होने के बाद एसपी ने इन सभी पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया। निलंबित होने वालों में स्वाट की बी टीम के प्रभारी देवेंद्र पाल सिंह के अलावा सिपाही हरिकेश कुमार, जितेंद्र गौड़, संतोष तिवारी, अमलेश यादव, शिवम चौधरी, बृजेश यादव व विधान सिंह शामिल हैं।
जियाउद्दीन के चचेरे भाई डॉ. आफाक अहमद ने कहा कि जियाउद्दीन की पुलिस ने जमकर प्रताड़ना की। उसके कमर के नीचे के पूरे हिस्से पर चोट के निशान थे। जियाउद्दीन की पुलिस कस्टडी में मौत के मामले में केस दर्ज कराने वाले भाई शहाबुद्दीन ने कहा कि कमर के नीचे तो चोट के खूब निशान दिखे ही, साथ में उसकी पीठ पर भी कई निशान मौजूद हैं। जियाउद्दीन के भाई शहाबुद्दीन ने मीडिया कर्मियों से बात करते हुए कहा कि मेरे भाई को पुलिस कर्मियों ने प्रताड़ित किया। उससे तीन लाख रुपये की वसूली का दबाव पुलिस कर्मी बना रहे थे। जियाउद्दीन ने अपनी पत्नी फुजैला बानो को फोन कर कहा था कि तीन लाख रुपये का प्रबंध कर भिजवा दो वरना ये लोग मेरी जान ले लेंगे। शहाबुद्दीन ने कहा कि हम लोग अचानक इतना पैसा कहां से लाते। कुछ पता भी नहीं चल रहा था कि मेरा भाई कहां पर है।
पांच भाइयों में दूसरे नंबर पर था
38 वर्षीय जियाउद्दीन पांच भाइयों में दूसरे नंबर का था। पूरा परिवार एक साथ ही रहते थे। मृतक जियाउद्दीन की मां रफात एवं पत्नी उजैला का रो-रोकर बेहोश हो जा रही थी। मृतक को एक बेटा फैज 12 वर्ष एवं एक बेटी अतू़फा है। जियाउद्दीन का पवई थाना में कोई आपराधिक इतिहास नहीं था। जियाउद्दीन घर पर रहकर लकड़ी और मछली बेचकर परिवार की परवरिश करता था।